۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
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हौज़ा / इस वक़्त हम इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम के इंतज़ार के ज़माने में हैं और हमारे पास दो चीजें हैं एक हुसैनी मोमिन और दूसरा मेंहदवी मोमिन। क्या हम ज़ियारते अरबईन के ज़रिए इन दोनों को एक कर सकते हैं जिनमें से एक इमाम हुसैन अ.स. की सच्ची मुहब्बत है और दूसरा इमाम मेंहदी का हक़ीक़ी इंतज़ार!

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस वक़्त हम इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम के इंतज़ार के ज़माने में हैं और हमारे पास दो चीजें हैं एक हुसैनी मोमिन और दूसरा मेंहदवी मोमिन। क्या हम ज़ियारते अरबईन के ज़रिए इन दोनों को एक कर सकते हैं जिनमें से एक इमाम हुसैन अ.स. की सच्ची मुहब्बत है और दूसरा इमाम मेंहदी का हक़ीक़ी इंतज़ार!

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इमाम हुसैन अ.स. के ज़ाईर और अहल अलबैत अलैहिस्सलाम के सच्चे शियाओं होने मे फर्क है, लिहाज़ा ज़ियारत अरबाईन के ज़रिए किस तरह इमाम हुसैन अ.स. से अपनी सच्ची मुहब्बत और इमाम महदी अ.स. की सच्चे इंतज़ार को कैसे इकठ्ठा करे ?

एक सच्चा इंतज़ार होता है और एक झूठा इंतज़ार भी होता है। अल्लाह ताला की नज़दीक इमाम मेंहदी अ.स. के इंतज़ार की क़दर और कीमत क्या है? 

हमारे पास इस सिलसिले मे बहुत सी हदीसें मौजूद हैं हमारे लिए इनमे ग़ोरो फिक्र करना बहुत ज़रूरी है। एक हदीस में  मज़कूर है।

एक मोमिन की सबसे अफज़ल इबादत अल्लाह की तरफ से इमाम के ज़हूर  का इंतज़ार है।

एक और हदीस मे आया है।

जो भी इस अम्र (ज़हूर इमाम ) का इंतज़ार करते हुए मर जाता है वह ऐसे ही है जैसे इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम) के साथ उसके खेमे में खड़ा है।

अगर हम इन हदीसों पर ग़ोर करें , तो हमें पता चलेगा कि इन दर्जात का मुस्तेहक़ हकदार मोमिन वह है जो बात अमल हो , इमाम महदी (अ.स.) के साथ मुखलिस ईमानदार हो , हक़ीक़ी सच्चा इंतजार कर रहा हो , ज़हूर के लिए मुकम्मल तैयार हो के जैसे ही ज़हूर हो मीडिया वार के सभी हमलों के बावजूद वो फौरन अपने इमाम से जा मिले।

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