हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने के इस अक़ीदे में कुछ ख़ुसूसियतें हैं जो किसी भी क़ौम की रगों में ख़ून और जिस्म में जान की तरह हैं। इनमें से एक उम्मीद है।
कभी मुंहज़ोर और ताक़तवर हाथ, कमज़ोर क़ौमों को ऐसी जगह पहुंचा देते हैं कि वह उम्मीद का दामन छोड़ देती हैं। जब वह उम्मीद छोड़ देती हैं तो फिर कोई क़दम नहीं उठा पातीं, वे कहती हैं कि अब क्या फ़ायदा? हमारे लिए तो सब कुछ ख़त्म हो चुका है, हम किससे लड़ें? क्या क़दम उठाए?
किस लिए कोशिश करें? अब तो हमारे बस में कुछ भी नहीं है! इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने का अक़ीदा, इमाम मेंहदी हमारी जानें उन पर क़ुर्बान के पाक वजूद पर अक़ीदा, दिलों में उम्मीद जगाता है। वो इंसान कभी भी मायूस नहीं होता, जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़हूर का अक़ीदा रखता है।
क्यों? इसलिए कि वह जानता है कि एक निश्चित रौशन अंजाम मौजूद है, इसमें कोई शक नहीं है। वह कोशिश करता है कि ख़ुद को उस तक पहुंचा दे।
इमाम ख़ामेनेई,