रविवार 8 सितंबर 2024 - 09:19
नमाज़ के कलमात अदा करने की कैफ़ीयत

हौज़ा / नमाज़ में यह अनिवार्य है कि कलमात को इस तरह से पढ़ा जाए कि इसे पाठ कहा जा सके, इसलिए कलमात को दिल में पढ़ना या बिना उच्चारण के केवल होंठ हिलाना पर्याप्त नहीं है। पढ़ने की निशानी यह है कि नमाज़ पढ़ने वाला (जबकि उसके कान भारी न हों और उसके आसपास कोई शोर न हो) जो पढ़ा और किया जा रहा है उसे अपने काने से सुन सके।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी |

💠प्रश्न: नमाज़ के कलमात अदा कैसे किया जाना चाहिए? यदि ज़िक्र के समय केवल होंठ ही हिलाये जायें तो क्या यह पर्याप्त होगा?

✅ उत्तर: नमाज के कलमात को इस प्रकार पढ़ना अनिवार्य है कि उसे पाठ कहा जा सके, इसलिए कलमात को दिल से पढ़ना यानी दिल में कलमात को पढ़ना या सिर्फ होठ हिलाना पर्याप्त नहीं है ज़बा से कलमात का उच्चारण किये बिना। पढ़ने की निशानी यह है कि नमाज़ पढ़ने वाला (जबकि उसके कान भारी न हों और उसके आसपास कोई शोर न हो) जो पढ़ा और किया जा रहा है उसे अपनो से सुन सके।

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