मंगलवार 24 सितंबर 2024 - 10:55
इस्लाम में निकाह के मोहर्रेमात: पारिवारिक संबंधों की पवित्रता और सीमाएँ

हौज़ा/आयत का विषय निकाह के मोहर्रेमात है, यानी वे महिला रिश्तेदार जिनसे शादी करना मना है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم  बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

حُرِّمَتْ عَلَيْكُمْ أُمَّهَاتُكُمْ وَبَنَاتُكُمْ وَأَخَوَاتُكُمْ وَعَمَّاتُكُمْ وَخَالَاتُكُمْ وَبَنَاتُ الْأَخِ وَبَنَاتُ الْأُخْتِ وَأُمَّهَاتُكُمُ اللَّاتِي أَرْضَعْنَكُمْ وَأَخَوَاتُكُمْ مِنَ الرَّضَاعَةِ وَأُمَّهَاتُ نِسَائِكُمْ وَرَبَائِبُكُمُ اللَّاتِي فِي حُجُورِكُمْ مِنْ نِسَائِكُمُ اللَّاتِي دَخَلْتُمْ بِهِنَّ فَإِنْ لَمْ تَكُونُوا دَخَلْتُمْ بِهِنَّ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ وَحَلَائِلُ أَبْنَائِكُمُ الَّذِينَ مِنْ أَصْلَابِكُمْ وَأَنْ تَجْمَعُوا بَيْنَ الْأُخْتَيْنِ إِلَّا مَا قَدْ سَلَفَ ۗ إِنَّ اللَّهَ كَانَ غَفُورًا رَحِيمًا   हुर्रेमत अलैकुम उम्माहातोकुम व बनातोकुम व अख़ावातोकुम व अम्मातोगुम व ख़ालातोकुम व बनातुल अख़े व बनातुल उख़्ते व उम्महातोकोमुल लाती अरज़अनकुम व अख़ावातोकुम मिनर रज़ाअते व उम्महातो नेसाएकुम व रबाएबोकोमुल लाती फ़ी होजूरकुम मिन नेसाएकोमुल लाती दख़लतुम बेहिन्ना फ़इन लम तकूनू दखलतुम बेहिन्ना फ़ला जोनाहा अलैकुम व हलाएलो अबनाएकोमुल लज़ीना मिन असलाबेकुम व अन तजमऊ बैनल उख़तैने इल्ला मा कद सलफ़ा इन्नल्लाहा काना ग़फ़ूरर रहीमा (नेसा 23)

अनुवाद: आपके ऊपर आपकी माताएँ, बेटियाँ, बहनें, मौसी, चाचा, भतीजी, भतीजे, भतीजी, आपकी पालन-पोषण करने वाली माताएँ, आपकी पालक बहनें, आपकी पत्नियों की माताएँ, आपकी स्त्रियाँ जो आपकी गोद में हैं और उनकी संतानें हैं जिन स्त्रियों से तुम ने संभोग किया हो, हां, यदि तुम ने संभोग न किया हो, तो उस में कोई हानि नहीं, और तुम्हारे बेटों की पत्नियां, जो तुम्हारे वंश की सन्तान हों, और दो बहनों का एक साथ विवाह करना इसके सिवा और क्या वर्जित है इससे पहले भी हो चुका है कि ईश्वर अत्यंत क्षमाशील और दयालु है।

विषय:

आयत का विषय महरामत निकाह है, यानी वे रिश्तेदार महिलाएं जिनसे शादी करना मना है।

पृष्ठभूमि:

यह आयत सूरत अल-निसा का हिस्सा है, जो सामान्य रूप से सामाजिक, पारिवारिक और वैवाहिक जीवन के नियमों और विनियमों पर प्रकाश डालती है। इस खास आयत में अल्लाह ताला ने उन रिश्तों का वर्णन किया है जिनमें पारिवारिक और सामाजिक व्यवस्था को कायम रखने के लिए शादी करने से मना किया गया है।

तफ़सीर:

इस आयत में अल्लाह तआला ने उन सभी संबंधित महिलाओं की सूची का उल्लेख किया है जिनसे शादी करना मना है। ये नियम इस्लामी सामाजिक और वैवाहिक व्यवस्था को बनाए रखने और अनुचित रिश्तों से बचने के लिए दिए गए हैं।

1. निकट संबंधियों से विवाह निषेध : माता, पुत्री, बहन, मौसी, मौसी, भतीजी, भतीजे आदि से विवाह वर्जित है।

2. पालक रिश्तेदारी: इस्लाम में, पालक (स्तनपान) रिश्ते रक्त रिश्तेदारों के समान ही महत्वपूर्ण हैं। दूध पिलाने वाली माताओं और दूध पिलाने वाली बहनों को भी शादी की मनाही है।

3. पत्नियों के संबंध: पत्नियों की मां (सास) और पत्नियों के पहले पति से बेटियां, और यदि पति ने अपनी पत्नी के साथ संभोग किया हो, तो उन बेटियों पर भी प्रतिबंध है।

4. नाजायज पुत्रों की पत्नियाँ : नाजायज (अर्थात सच्चे) पुत्रों की पत्नियों से भी विवाह वर्जित है।

5. एक ही समय में दो बहनों से शादी करने पर रोक: एक ही समय में दो बहनों से शादी करना शरीयत में हराम है, लेकिन अगर ऐसा कृत्य पहले (यानी इस्लाम के प्रकट होने से पहले) किया गया है, तो इसे माफ कर दिया जाना चाहिए। अल्लाह की क्षमा के लिए कर सकते हैं

महत्वपूर्ण बिंदु:

• इस्लाम ने सामाजिक अनैतिकता से बचने के लिए महरम रिश्तों पर स्पष्ट सीमाएं तय की हैं।

• पालक रिश्ते का उतना ही सम्मान किया जाता है जितना खून के रिश्ते का।

• ये आदेश मनुष्य के प्राकृतिक और सामाजिक अधिकारों की रक्षा के लिए दिए गए हैं, ताकि पारिवारिक व्यवस्था में कोई भ्रष्टाचार न हो।

• यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि पहले कोई गलती की गई है तो अल्लाह क्षमा करने वाला, दयालु और बार-बार क्षमा करने वाला है।

परिणाम:

यह आयत इस्लामी सामाजिक और वैवाहिक कानूनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो रिश्तों में सीमाओं के बारे में विस्तृत निर्देश प्रदान करता है। ये आज्ञाएँ परिवार के सदस्यों के बीच पवित्रता और सम्मान को बढ़ावा देती हैं और मनुष्य को इन रिश्तों में सीमाओं का उल्लंघन करने से रोकती हैं। श्लोक का मुख्य उद्देश्य परिवार में रिश्तों का सम्मान करना और उनकी पवित्रता बनाए रखना है।

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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए नेसा

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