हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,कुम अलमुकद्देसा में मदरसा इल्मिया अलवी कुम ईरान 8 रबी अल सानी विलादात ए हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के अवसर पर मदरसा इल्मिया अल्वी मे महफिल का आयोजन किया गया जिसमें हिंदुस्तान, पाकिस्तान और ईरान के अनेकों विद्वानों, उपदेशकों, कवियों और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।
इस प्रोग्राम को हाफिज़ सैयद मुहम्मद ईमान सल्लम्हहु की तिलावत ए कुरान के द्वारा शुरू किया गया बाद में हाफिज तसव्वुर अब्बास साहब ने मधुर आवाज में तिलावत करके महफिल की औपचारिक शुरुआत की।
महफिल का संचालन करते हुए हाफ़िज़ सैयद मुर्तज़ा हुसैन रिज़वी ने एक के बाद एक शायरों को कलाम पढ़ने की दावत दी जिसमें सैयद मुहम्मद रज़ा मश्रकैन ने पढ़ा कि..
आसमाने फिक़्र पर फैला है नूरे असकरी
सर ज़मीने कुम पे है जश्न वो सुरूरे असकरी
हाफिज सैयद मुर्तजा ने पढ़ा कि
नक़ी रह रह के करते हैं तिलावत चश्मे उलफत से
रूखे मौजूद गोया हु बहुत क़ुरआ की सूरत है
इसी तरह हाफ़िज़ वो क़ारी सैयद आमिर अब्बास रिज़वी, साक़िब अब्बास आदि शायरों ने ममदूह की शान में कलाम पेश कर के लोगो को महज़ूज़ किया।
मदरसे के संरक्षक मौलाना सैयद मसूद अख़्तर रिज़वी ने संक्षिप्त तकरीर करते हुए बताया कि इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के एक सवाल ने कुरान के दुश्मन इसहाक़ किंदी को अपनी किताब जलाने पर मजबूर कर दिया।
अंत में मदरसा कुरान और हदीस के प्रिंसिपल हुज्जत-उल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन डॉ. मुहम्मद अली रेज़ाई इस्फ़हानी ने इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के कथन के प्रकाश में कुरान की महानता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अधिक प्रार्थना करने का नाम इबादत नहीं, बल्कि ध्यान और चिंतन का नाम इबादत है।
मदरसा इल्मिया अल्वी के प्रिंसिपल डॉ. हाफिज़ सैयद मुजतबी रिज़वी द्वारा उत्तीर्ण छात्रों को सम्मानित किया गया।
इस मौक़े पर मौलाना क़ैसर इक़बाल, मौलाना आमिल मज़ाहिरी, मौलाना इक़बाल हैदर हैदरी, हाफ़िज़ हुसैन सालेही, मौलाना इलिया अब्बास, मौलाना फ़रहत अब्बास, डाक्टर हाफिज़ जन्नत हुसैन जन्नती आदि मौजूद रहे।