हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "वासइल उश-शिया" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیه السلام:
عَنْ أَبِی عَبْدِ اللَّهِ علیه السلام قَالَ مَنْ أَرَادَ اللَّهُ بِهِ الْخَیْرَ قَذَفَ فِی قَلْبِهِ حُبَّ الْحُسَیْنِ علیه السلام وَ حُبَّ زِیَارَتِهِ وَ مَنْ أَرَادَ اللَّهُ بِهِ السُّوءَ قَذَفَ فِی قَلْبِهِ بُغْضَ الْحُسَیْنِ علیه السلام وَ بُغْضَ زیارته
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:
जब अल्लाह किसी बंदे का भला चाहता है तो उसके दिल में इमाम हुसैन और उनकी ज़ियारत के लिए प्यार रख देता है और जब किसी का बुरा चाहता है तो उसके दिल में इमाम हुसैन और उनकी ज़ियारत के लिए नफरत डाल देता है।
वसाइल उश-शिया, भाग 14, पेज 496