हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मोहर्रम महीने में पैग़म्बरे इस्लाम स.ल.व.व. के प्राण प्रिय नवासे हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की याद में आयोजित होने वाली शोक सभाओं सिलसिला पहली मोहर्रम से आरंभ हो जाता है।
दुनिया भर में आयोजित होने वाली इन शोकसभाओं में इंसानियत की रक्षा करने वाले महान बलिदानियों की क़ुर्बानियों के बारे में बताया जाता है।
इसी संबंध में तेहरान में स्थित इमाम ख़ुमैनी र.ह इमामबाड़े में भी इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामनेई की मौजूदगी में मजलिसें आयोजित होती हैं।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हाज अली अकबरी ने मजलिस पढ़ी उन्होंने तरबियत के आइडियल के तौर पर हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस्लामी किताबों के अनुसार, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के सबसे बड़े बेटे हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम का चेहरा और व्यवहार पूरी तरह पैग़म्बरे इस्लाम स.ल. से मिलता जुलता था।
पैग़म्बरे इस्लाम की वफ़ात के बाद जब भी कोई उनको याद करता था तो वह हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम को देखने आ जाता था। मजलिस के बाद जनाब सैय्यद मजीद बनी फ़ातेमा ने कर्बला के इस अज़ीम शहीद के सिलसिले में मर्सिया और नौहा पढ़ा।
बता दें कि तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की याद में आयोजित होने वाली शोक सभाओं का सिलसिला 29 जुलाई बराबर 11 मोहर्रम तक जारी रहेगा।
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