۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
मौलाना फैज़ अब्बास मशहदी

हौज़ा / चौदह सौ साल पहले, यज़ीद ने कुरआन से इनकार करते सीधे मार्ग से भटक जाने की घोषणा की, और आज एक बार फिर, यज़ीद का प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति कुरआन और उसके छंदों (आयतो) की प्रामाणिकता से इनकार करते हुए अपने धर्मत्याग की घोषणा करता है, इस धर्मद्रोही से संबंध रखना या दिल में उनके लिए प्यार होना विश्वास में कमजोरी का संकेत है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी, लखनऊ / टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, आसिफ़ मस्जिद, लखनऊ में शुक्रवार के उपदेश से पहले, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद फ़ैज़ अब्बास मशहदी ने कहा कि अल्लाह ने इंसानों को लाखों नेमते देकर दुनिया में भेजा लेकिन कभी अहसान नही जताया लेकिन जब मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व.व.) को पैगंबर के रूप में दुनिया मे भेजा तो कहा: "हमने विश्वासनियो (मोमिनो) पर अहसान किया कि उसमे से एक को पैगंबर बनाकर भेजा" क्योकि पैंगबरि ही ऐसा तरीका है जिससे मानव मार्गदर्शन और सही रास्ता की पहचान कर सकता है। इसलिए, आयत यह भी इंगित करती है कि उसके आने से पहले आप सभी खुले गुमराही मे थे। लेकिन पैगंबर के बाद भी, बहुत से ऐसे लोग है जो हिदायत से गुमराही की ओर जाते हुए दिखाई देते है।

उन्होंने कहा कि आज से चौदह सौ साल पहले, यज़ीद ने कुरआन से इनकार करते सीधे मार्ग से भटक जाने की घोषणा की, और आज एक बार फिर, यज़ीद का प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति कुरआन और उसके छंदों (आयतो) की प्रामाणिकता से इनकार करते हुए अपने धर्मत्याग की घोषणा करता है, इस धर्मद्रोही से संबंध रखना या दिल में उनके लिए प्यार होना विश्वास में कमजोरी का संकेत है।

इसलिए, प्रत्येक आस्तिक को किसी भी तरह से अपने समय के यज़ीद का विरोध करना चाहिए और हुसैनी अग्रदूतों के बैनर तले पैगंबर और इमामों के मिशन को आगे बढ़ाना जारी रखना चाहिए। अन्यथा, वह दिनदूर नहीं है जब उसके जैसे लोग अपने नापाक इरादों से इस्लाम को कलंकित करने का प्रयास करते रहेंगे।

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