हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " अलकाफी " पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الصادق علیه السلام
ما مِنْ شَيْءٍ أَفْسَدَ لِلْقَلْبِ مِنْ خَطِيئَةٍ إِنَّ الْقَلْبَ لَيُواقِعُ الْخَطِيئَةَ فَمَا تَزالُ بِهِ حَتَّي تَغْلِبَ عَلَيْهِ فَيُصَيِّرَ أَسْفَلَهُ أَعْلاه
हज़रत इमाम जाफर सादिक अ.स. फरमाया:
कोई चीज़ गुनाह से ज़्यादा दिल को खराब (काला)नहीं करती,जब इंसान गुनाह करता है और उस गुनाह को बार-बार करता है,तो नतीजतन, (उसका दिल) उल्टा और टेढ़ा हो जाता है ,और कोई भी उपदेश उस पर अमल नहीं करती,
अल काफी,भाग 2,पेंज 268