۳۰ اردیبهشت ۱۴۰۳ |۱۱ ذیقعدهٔ ۱۴۴۵ | May 19, 2024
मजलिस

हौज़ा/अशरा ए सानी की चोथी मजलिस को संबोधित करते हुए शिया आलिम ए दीन मौलाना सैयद शबी उल हसन नकवी ने कहा कि वाकया ए हिर्रा के मौके पर जब मरवान ने अपनी और अपने अहलो अयाल की तबाही और बर्बादी का यकीन कर लिया तो अब्दुल्लाह इब्ने उमर के पास जाकर कहने लगा कि हमारी मुहाफजत करो

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मुजफ्फनगर तिस्सा सादात अशरा ए सानी की चोथी मजलिस को संबोधित करते हुए शिया आलिम ए दीन मौलाना  सैयद शबी उल हसन नकवी ने कहा कि वाकया ए हिर्रा के मौके पर जब  मरवान ने अपनी और अपने अहलो अयाल की तबाही और बर्बादी का यकीन कर लिया तो अब्दुल्लाह इब्ने उमर के पास जाकर कहने लगा कि हमारी मुहाफजत करो।


हकुमत की नजर मेरी तरफ से भी फिरी हुई है। में जान और औरतों की बेहुरमती से डरता हूं। उन्होंने साफ इन्कार कर दिया। उस वक़्त इमाम ज़ैनुल आब्दीन (अस) के पास आया और अपने बच्चो की तबाही व बरबादी का हवाला देकर हिफाज़त की दरख्वास्त की, मौलाना ने कहा हज़रत ने यह ख्याल किए बग़ैर की यह खानदानी हमारा दुश्मन हैंं

 और इसने वाकियाए कर्बला में पूरी दुश्मनी का मुजाहिरा किया है।मेरे मोला हज़रत इमाम सज्जाद (अस)  ने फरमाया बेहतर है कि अपने बच्चो को मेरे पास बा मुकाम मुनबा भेज दो, जहां पर मेरे बच्चे रहेंगे तुम्हारे भी वही रहेंगे। मौलाना ने मज़ीद कहा मरवान अपने बाल बच्चों को जिनमें हज़रत उस्मान की बेटी आयशा भी थी आपके पास पहुंचा गया और आपने सब की मुकम्मल हिफाज़त फरमाई। मौलाना ने इसी के साथ इमाम सज्जाद और जनाब ए जैनब के उन खुतबों पर भी रोशनी डाली जो आपने कूफा व शाम के रास्ते पर दिए और इमाम हुसैन के मक़सद से लोगो को  आगाह किया।
अंत में मौलाना ने शाम के बाज़ार अहलैबैत  अतहार पर हुए यजीद की तरफ से हुए ज़ुल्मो सितम बयान किये तो मजलिस में उपस्थित शिया समुदाय के मर्द औरत फूट फूट कर रोने लगें।

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