हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "काफ़ी" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیه السلام:
اِتَّقُوا اَلْمُحَقَّرَاتِ مِنَ اَلذُّنُوبِ فَإِنَّهَا لاَ تُغْفَرُ قُلْتُ وَ مَا اَلْمُحَقَّرَاتُ قَالَ اَلرَّجُلُ يُذْنِبُ اَلذَّنْبَ فَيَقُولُ طُوبَى لِي لَوْ لَمْ يَكُنْ لِي غَيْرُ ذَلِكَ .
हज़रत इमाम जफ़र सादिक (अ.स.) ने फ़रमायाः
छोटे छोटे पापों से बचें क्योंकि उन्हें क्षमा नहीं किया जाता है। पूछा गया, ऐसे कौन से छोटे-छोटे पाप हैं जिन्हें माफ नहीं किया जाता है? तो इमाम (अ.स.) ने फरमायाः ऐसा गुनाह जिसे गुनाह करने वाला छोटा गुनाह समझता है और उसे गम्भीरता से नहीं लेता और सोचता है कि यह तो छोटा गुनाह है और सोचे कि मेरा केवल यही गुनाह है फिर तो मै खुशबख्त हूँ ।
अल-काफ़ी, भाग 2, पेज 287