۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
इमाम ख़ुमैनी

हौज़ा/समाज के हर बड़े बदलाव के सामने असली चैलेंज उस इंक़ेलाब या बदलाव की तरजीहात की हिफ़ाज़त करना है। यह समाज में हर बड़े बदलाव के सामने सबसे बड़ा चैलेंज हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहां,समाज के हर बड़े बदलाव के सामने असली चैलेंज उस इंक़ेलाब या बदलाव की तरजीहात की हिफ़ाज़त करना है।

यह समाज में हर बड़े बदलाव के सामने सबसे बड़ा चैलेंज है कि उसके कुछ बुनियादी मक़सद होते हैं और वह उन्हीं लक्ष्यों और दिशा की ओर बढ़ता और दूसरों को बुलाता है। इस तरजीह की हिफ़ाज़त होनी चाहिए।

अगर एक इंक़ेलाब में, समाज में होने वाले एक मूवमेन्ट में तरजीह की हिफ़ाज़त न हो, वह महफ़ूज़ न हो, तो वह इंक़ेलाब ख़ुद अपने ख़िलाफ़ हो जाएगा। अपने मक़सद की उलटी दिशा में आगे बढ़ने लगेगा। तरजीहात को नज़रअंदाज़ होने से बचाने के लिए, तयशुदा पैरामीटर की ज़रूरत होती है।

उसके रास्ते में पैरामीटर होना चाहिए। ख़ुद इमाम ख़ुमैनी सबसे अच्छी कसौटी हैं इमाम ख़ुमैनी का अंदाज़, इमाम ख़ुमैनी की बातचीत, ख़ुशक़िस्मती की बात है कि इमाम ख़ुमैनी की स्पीचेज़ मौजूद हैं,

उन्हें किताब की शक्ल दे दी गयी है। इमाम ख़ुमैनी के मन की बात को ज़ाहिर करने वाला उनका वसीयतनामा, इंक़ेलाब के भविष्य को बयां करता है।

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