۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
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हौज़ा/सुप्रीम काउंसिल फ़ॉर कल्चरल रेवोलुशन के सदस्यों से मुलाक़ात, कल्चरल कमियों की सही पहचान, ‎सही वक़्त पर क़दम उठाने और सही रुझान को फैलाने पर ताकीद

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने सुप्रीम काउंसिल ‎फ़ॉर कल्चरल रेवोलुशन के सदस्यों से मुलाक़ात में कहा कि मुल्क को कल्चर के मैदान में सही ‎दिशा में ले जाना इस विभाग की ज़िम्मेदारी हैं।

उन्होंने मुल्क के कल्चरल ढांचे के इन्क़ेलाबी ‎पुनरनिर्माण को ज़रूरी बताया और कहा कि सुप्रीम काउंसिल फ़ॉर कल्चरल रेवोलुशन को चाहिए कि ‎अलग अलग मैदानों में ग़लत कल्चरल बिन्दुओं और कमियों की सही पहचान और निगरानी के साथ ‎सही बिन्दुओं व नज़रियों को फैलाने के लिए आलेमाना हल पेश करे। ‎


इस्लामी इन्क़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने अपने ख़िताब में 'हमारे बस की बात नहीं' के कल्चर का ज़िक्र ‎किया और इसे इस्लामी इन्क़ेलाब से पहले समाज में प्रचलित ग़लत सोच क़रार देते हुए कहा कि ‎इस्लामी इन्क़ेलाब ने कन्सट्रक्टिव क़दम और क्रिएटिव कोशिशों से इस मानसिकता को बदल दिया ‎जिसका नतीजा यह हुआ कि मुल्क में स्थानीय नौजवान माहिरों के हाथों बुहत से बांध, बिजली घर, ‎हाइवे, तेल और गैस इंडस्ट्रीज़ की मुख़्तलिफ़ तरह की मशीनें बन कर तैयार हुईं। ‎
उन्होंने पश्चिम के प्रति दीवानगी के कल्चर और अंग्रेज़ी लफ़्ज़ों के इस्तेमाल को भी समाज में रायज ‎ग़तल कल्चरल रुझान क़रार दिया और कहा कि इस्लामी इन्क़ेलाब आने के बाद यह रुझान बदला ‎और पश्चिम की आलोचना का कल्चर आम हुआ।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आम तौर पर ग़ैर महसूस तरीक़े से आने वाले कल्चरल बदलाव पर ‎लगातार नज़र रखने और सही वक़्त पर उसका इलाज किए जाने को मुल्क के कल्चरल ढांचे के ‎इन्क़ेलाबी पुनरनिर्माण की शर्त क़रार दिया और कहा कि अगर इन तब्दीलियों की मुसलसल समझ ‎और उनके निगेटिव असर की रोकथाम में कमज़ोरी हुयी या पिछड़ गए तो समाज को ज़रूर नुक़सान ‎पहुंचेगा और इसमें सबसे बड़ा नुक़सान कल्चरल अफ़रातफ़री की शक्ल में सामने आयगा या मुल्क के ‎कल्चरल मामलों की लगाम दूसरों के हाथों में पहुंच जाएगी। ‎
उन्होंने कल्चरल ढांचे में सुधार के लिए सही कल्चरल इंजीनियरिंग को बुनियादी काम क़रार दिया ‎और फ़रमाया कि समाज, सियासत, फ़ैमिली, ज़िन्दगी के अंदाज़ और दूसरे मैदानों में कल्चरल कमियों ‎की सही पहचान और हमेशा जागरुक रहने सहित कमियों को दूर करने और सही कल्चरल रुझान को ‎मुल्क की कल्चरल इंजीनियरिंग की अहम शर्तों में गिनवाया।
इस्लामी इन्क़ेलाब के सुप्रीम लीडर का कहना था कि साइंसी तरक़्क़ी के रुझान को फिर से ज़िन्दा ‎करना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने दो दहाई पहले इल्म की सरहदों को पार करने की सोच को रायज ‎करने के शानदार नतीजे का ज़िक्र करते हुए कहा कि साइंस और टेक्नॉलोजी के मैदान में लंबी ‎छलांग इस मिशन के अहम नतीजे थे जिसका सिलसिला जारी रहना चाहिए। ‎
उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटियां, साइंटिफ़िक व रिसर्च सेंटर्ज़, संबंधित विभाग, साइंटिफ़िक तरक़्क़ी व ‎छलांग को अपना मक़सद क़रार दें ताकि मुल्क इल्म व साइंस के कारवां से पीछे न रह जाए। ‎
इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में प्रेज़िडेन्ट सैय्यद इब्राहीम रईसी ने अपनी बातचीत में कहा कि सुप्रीम ‎काउंसिल फ़ॉर कल्चरल रेवोलुशन की सबसे अहम ज़िम्मेदारी इल्क व कल्चर के मैदानों के मामलों ‎को संभालना है। उन्होंने इस विभाग की ओर से पेश किए गए सुधार के डॉक्यूमेंट को अंतिम शक्ल ‎दिए जाने का ज़िक्र किया और कल्चरल ढांचे के इन्क़ेलाबी पुनरनिर्माण से संबंधित रिपोर्ट पेश की।

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