हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लाम की नज़र में दुनिया, बुलंदी तक पहुंचने के लिए इंसान का एक साधन हैं इस्लाम, दुनिया को परलोक की खेती बताता है। दुनिया फ़र्ज़, ज़िम्मेदारी और धर्म को पहुंचाने का अस्ली मैदान है।
धर्म इसलिए आया है कि इस विशाल मैदान में, विविधता से भरे इस मैदान में इंसान की कोशिशों को एक रूप व दिशा दे सके और उसकी हिदायत कर सके। इस नज़र से देखिए तो दीन और दुनिया एक दूसरे का अभिन्न अंग हैं।
धर्म, अपनी ज़िम्मेदारी अदा करने के लिए, दुनिया के अलावा कोई और मैदान तलाश नहीं कर सकता। दुनिया भी, धर्म के सुझाव और धर्म के कंस्ट्रक्टिव सहारे के बिना, अध्यात्म से ख़ाली, हक़ीक़त से ख़ाली, मोहब्बत से ख़ाली एक दुनिया होगी।
दुनिया -यानी इंसान की ज़िन्दगी की जगह- धर्म के बिना जंगल के क़ानून में, जंगली माहौल में और जंगली ज़िन्दगी में तब्दील हो जाएगी। इस विशाल मैदान में इंसान को अम्न व अमान महसूस होना चाहिए और आत्मिक कमाल की ओर बढ़ने के लिए रास्ता खोलना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई,