हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "गेरारूल हिकम" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال امیرالمومنین علیه السلام
جاهِدْ نَفْسَكَ و حاسِبْها مُحاسَبةَ الشَّريكِ شَريكَهُ، و طالِبْها بِحُقوقِ اللّهِ مُطالَبَةَ الخَصْمِ خَصْمَهُ
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
अपने नफ्स से जिहाद और उसका मुहासबा करों, जिस तरह एक शरीक अपने दूसरे शरीक के साथ हिसाब व किताब करता है और उससे अल्लाह तआला के अधिकारों की माँग करों, ठीक उसी तरह जैसे एक दूसरे पक्ष से अपने अधिकारों की माँग क्या करते हैं।
गेरारूल हिकम,हदीस नं 4762