हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने फरमाया,हज़रत पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम लोगों से फ़रमाते थे कि कोई मुझसे मेरे असहाब के बारे में कुछ न कहा करे और हर वक़्त मेरे सामने एक दूसरे की बुराई न किया करो,
मैं तो चाहता हूं कि जिस वक़्त लोगों के बीच आऊं और अपने असहाब के दरमियान जाऊं तो मन पाक रहे, यानी पाक साफ़ दिल के साथ, किसी भी क़िस्म की बदगुमानी के बिना मुसलमानों के दरमियान जाऊं, मेरे सामने एक दूसरे की बुराई न किया करो।
देखिए पैग़म्बरे इस्लाम का यह रवैया किस क़द्र मुसलमानों में यह भावना जगाने में मदद करता है कि इस्लामी समाज और इस्लामी माहौल में किसी भी बदगुमानी के बिना लोगों के साथ सार्थक सोच के साथ व्यवहार करना चाहिए।
रिवायतों में है कि जिस वक़्त सत्ताधारी तबक़ा बुराई व भ्रष्टाचार में लिप्त हो, हर चीज़ को शक की निगाह से देखा करो, लेकिन जिस वक़्त समाज में भलाई फैली हो, बदगुमानी छोड़ दो और एक दूसरे के बारे में सार्थक सोच रखो। एक दूसरे की बातों को सच समझ कर सुनो और एक दूसरे की बुराइयों को न देखा करो, बल्कि उनकी अच्छाइयों पर नज़र रखा करो।