हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफसीर; इत्रे कुरआन: तफसीर सूर ए बक़रा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्राहीम
وَإِذَا قِيلَ لَهُمْ آمِنُوا بِمَا أَنزَلَ اللَّـهُ قَالُوا نُؤْمِنُ بِمَا أُنزِلَ عَلَيْنَا وَيَكْفُرُونَ بِمَا وَرَاءَهُ وَهُوَ الْحَقُّ مُصَدِّقًا لِّمَا مَعَهُمْ ۗ قُلْ فَلِمَ تَقْتُلُونَ أَنبِيَاءَ اللَّـهِ مِن قَبْلُ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ वा इज़ा क़ीला लहुम आमेनू बेमा अन्ज़लल लाहो क़ालू नूमेनो बेमा अंज़ला अलैना वा यकफ़ोरूना बेमा वराअहू वा होवल हक़्क़ो मोसद़्देक़न लेमा माअहुम क़ुल फ़लेमा तक़तोलूना अम्बिया अल्लाहे मिन क़ब्लो इन कंतुम मोमेनीन (बकरा 91)
अनुवादः और जब उनसे कहा जाता है कि अल्लाह ने जो कुछ (क़ुरआन) उतारा है उस पर ईमान लाओ। अतः वे कहते हैं, "हम उस पर ईमान रखते हैं जो हमारी ओर (बानी इस्राईल) अवतरित हुई है, परन्तु हम उसके (क़ुरआन, इंजील आदि) के अलावा जो कुछ है, उसका इनकार करते हैं, यद्यपि वह सत्य है और जो उनके पास है।" (तौरात) है और यह (हे रसूल) इसकी पुष्टि भी करता है। उनसे कहो, यदि तुम (तौरात पर) विश्वास करते थे, तो तुमने (अगली उम्र) से पहले अल्लाह के नबियों को क्यों मार डाला?
📕 क़ुरआन की तफ़सीर 📕
1️⃣ इस्लाम के पैगंबर के व्यापक निमंत्रण में यहूदी भी शामिल थे।
2️⃣ यहूदी पवित्र कुरान को नहीं मानेंगे और इस्लाम कबूल नहीं करेंगे।
3️⃣ यहूदियों के अनुसार पैग़म्बरों पर ईमान लाने की कसौटी यह थी कि उन्हें बनी इस्राईल से भेजा जाए।
4️⃣ यहूदी जातिवादी लोग थे।
5️⃣ राष्ट्रीय पूर्वाग्रह और नस्लवाद उन कारकों में से थे जो यहूदियों को कुरान में अविश्वास करने के लिए प्रेरित करते थे।
6️⃣ कुरान एक ऐसी किताब है जो सच्चाई और हर तरह के झूठ और विचलन से पूरी तरह मुक्त है।
7️⃣ तौरात की प्रामाणिकता और सच्चाई का प्रमाण और गवाह पवित्र कुरान है।
8️⃣ यहूदियों ने बनी इस्राईल की पीढ़ी के कई नबियों को क़त्ल किया।
9️⃣ उनके भावों के विपरीत यहूदी बनी इस्राईल के नबियों पर विश्वास तक नहीं करते थे।
🔟 व्यक्ति का कर्म और चरित्र ही उसके विश्वासों और विचारों का प्रमाण होता है।
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📚 तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा
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