हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "तोहफ ए ओकूल " पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الإمامُ الكاظمُ عليه السلام
اَفْضَلُ ما يَتَقَرَّبُ بِهِ الْعَبْدُ اِلَى اللّه ِ بَعْـدَ المَعْـرِفَةِ بِهِ الَصَّـلاةُ وِ بِرُّ الْوالِدَيْنِ وَ تَرْكُ الْحَسَدِ وَالُعْجبِ وَالفَخْرِـدَ المَعْـرِفَةِ بِهِ الَصَّـلاةُ وِ بِرُّ الْوالِدَيْنِ وَ تَرْكُ الْحَسَدِ وَالُعْجبِ وَالفَخْرِـرِفَةِ بِهِ الَصَّـلاةُ وِ بِرُّ الْوالِدَيْنِ وَ تَرْكُ الْحَسَدِ وَالُعْجبِ وَالفَخْرِـلاةُ وِ بِرُّ الْوالِدَيْنِ وَ تَرْكُ الْحَسَدِ وَالُعْجبِ وَالفَخْرِ
हज़रत इमाम मूसा काज़िम अ.स.ने फरमाया:
अल्लाह तआला को पहचानने के बाद इंसान जिस बेहतरीन चीज़ के ज़रिए अल्लाह से करीब हो सकता है वह यह हैं
(1) नमाज़
(2) वालदेन के साथ अच्छा सलूक
(3)हसद को तर्क करना,
(4) खुद परस्ती और
(5) फक्र व तक्बबुर से दूरी हथियार करना,
तोहफ ए ओकूल,पेंज 391