۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / नमाज़ और ज़कात की स्थापना बनी इस्राईल के साथ अल्लाह तआला द्वारा किए गए समझौतों में से एक है। बनी इस्राईल के स्कूल में विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक पहलू थे। कौन अल्लाह तआला की इबादत कर रहा है और किसकी इबादत से बचना वाजिब है?

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

तफ़सीर:  इत्रे कुरआन: तफसीर सूरा ए बकरा

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह हिर्राहमा निर्राहीम
إِذْ أَخَذْنَا مِيثَاقَ بَنِي إِسْرَائِيلَ لَا تَعْبُدُونَ إِلَّا اللَّـهَ وَبِالْوَالِدَيْنِ إِحْسَانًا وَذِي الْقُرْبَىٰ وَالْيَتَامَىٰ وَالْمَسَاكِينِ وَقُولُوا لِلنَّاسِ حُسْنًا وَأَقِيمُوا الصَّلَاةَ وَآتُوا الزَّكَاةَ ثُمَّ تَوَلَّيْتُمْ إِلَّا قَلِيلًا مِّنكُمْ وَأَنتُم مُّعْرِضُونَ  इज़ अख़ज़्ना मीसाक़ा बनी इस्राईला ला ताअबोदूना इल्लल लाहा वा बिल वालेदैने एहसाना वा ज़िल क़ुर्बा वल यतामा वल मसाकीने वा क़ूलू लिन्नासे हुस्ना वा अक़ीमुस्सलाता वा आतुज़्ज़काता सुम्मा तवल्लैयतुम इल्ला क़लीला मिन्कुम वा अंतुम मोरेज़ून (बकरा 83)

अनुवाद: ओह (उस समय को याद करो) जब हमने बनी इस्राईल से यह गंभीर वाचा ली थी कि आपको अल्लाह के अलावा किसी की इबादत नहीं करनी चाहिए। मां बाप से (खासकर) रिश्तेदार, अनाथ से (आम तौर पर) अच्छा व्यवहार और अच्छा व्यवहार, नियमित नमाज अदा करें और जकात अदा करें। किन्तु शेष लोगों ने वाचा को छोड़ दिया। और तुम हो ही रूगरदारी करने वाली।

📕 कुरआन की तफसीर 📕

1️⃣    अल्लाह तआला ने बनी इस्राईल से कुछ अहद और समझौते किये ?
2️⃣     हे अल्लाह, इबादत में कोई भागीदार नहीं है, और किसी और की इबादत करने से बचना बनी इस्राईल के साथ भगवान की वाचाओं और अनुबंधों में से एक था।
3️⃣     बनी इस्राईल के साथ सर्वशक्तिमान परमेश्वर की वाचाओं और वाचाओं में से एक यह थी कि वे अपने माता-पिता, रिश्तेदारों, अनाथों और गरीबों के साथ भलाई करें।
4️⃣     बनी इस्राईल के साथ सर्वशक्तिमान परमेश्वर की वाचाओं और वाचाओं में से एक यह थी कि वे लोगों से अच्छी तरह से बात करें और उनके साथ अच्छा व्यवहार करें।
5️⃣     खड़े होकर नमाज़ अदा करना और ज़कात अदा करना, बनी इस्राईल के साथ सर्वशक्तिमान ईश्वर द्वारा किए गए समझौतों में से एक था।
6️⃣     बनी इस्राईल स्कूल के विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक पहलू थे।
7️⃣     जब अल्लाह की इबादत अनिवार्य है और किसी दूसरे की इबादत से बचना अनिवार्य है।
8️⃣     एकेश्वरवाद और भक्तिपूर्ण एकेश्वरवाद दिव्य धर्मों के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है।
9️⃣     ईमान वालो की सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक जिम्मेदारियों में माता-पिता के साथ दया और उपकार है।

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📚 तफसीर राहनुमा, सूरा ए बकरा 
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