۵ آذر ۱۴۰۳ |۲۳ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 25, 2024
حضرت

हौज़ा/हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने जिनको अल्लाह ने सभी मुसलमानों के लिए आइडियल बना कर भेजा है और हम सब की ज़िम्मेदारी है कि पैग़म्बर की सीरत और उनके जीवन को आइडियल बनाते हुए उस पर अमल करें ताकि हमारा जीवन कामयाब हो सके।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत पैग़म्बर स.अ. जिनको अल्लाह ने सभी मुसलमानों के लिए आइडियल बना कर भेजा है, और हम सब की ज़िम्मेदारी है कि पैग़म्बर की सीरत और उनके जीवन को आइडियल बनाते हुए उस पर अमल करें ताकि हमारा जीवन कामयाब हो सके।

हम इस लेख में पैग़म्बर स.अ. के साधारण जीवन की कुछ मिसालों को शिया और सुन्नी किताबों से पेश कर रहे हैं ताकि सभी मुसलमान पैग़म्बर स.अ. की रोज़ाना की ज़िंदगी को देखते हुए अपनी ज़िंदगी को उसी तरह बना सकें।

सबसे पहले इस्लाम में साधारण जीवन किसे कहते हैं, इसको समझना होगा, इस्लाम की निगाह में साधारण जीवन और सादा ज़िंदगी का मतलब है, दुनिया की चमक धमक से मोहित हो कर उसके पीछे न भागे, और दुनिया, दौलत और दुनिया के पदों को हासिल करने के लिए ही सारी कोशिश न हो, ऐसा नहीं है कि इंसान ने पैसा कमाने या अच्छा जीवन बिताने पर रोक लगाई है, बल्कि आप ख़ूब कमाइए अच्छा जीवन बिताइए लेकिन साथ साथ अल्लाह के हुक्म पर भी अमल कीजिए और उसके ग़रीब बंदों का भी ख़्याल कीजिए।

आपका खाना पीना

हज़रत उमर का बयान है कि, एक दिन मैं पैग़म्बर स.अ. से मिलने गया देखा आप एक बोरी पर लेटे आराम कर रहे हैं, और आपका खाना भी जौ की रोटी ही हुआ करती थी, मैं आपको बोरी पर लेटे हुए देख कर रोने लगा, पैग़म्बर स.अ. ने पूछा ऐ उमर क्यों रो रहे हो मैंने कहा, या रसूलुल्लाह (स.अ.) मैं कैसे न रोऊं, आप अल्लाह के ख़ास बंदे हो कर बोरी पर लेटते हैं और जौ की रोटी खाते हैं जबकि ख़ुसरू और क़ैसर (दोनों बादशाह थे) अनेक तरह की नेमतों और खाने खाते नर्म बिस्तर पर सोते, पैग़म्बर स.अ. ने मुझ से कहा कि ऐ उमर क्या तुम राज़ी नहीं हो कि वह लोग दुनिया के मालिक रहें और आख़ेरत पर हमारा अधिकार रहे, मैं उनके जवाब से सहमति जताते हुए चुप हो गया। (सोननुल कुबरा, बीहक़ी, जिल्द 7, पेज 46, सहीहे इब्ने हब्बान, जिल्द 9, पेज 497)

पैग़म्बर स.अ. के खाने के बारे में बहुत सारी हदीसें बयान हुई हैं, जैसे यह कि आपने पूरे जीवन में कभी भी तीन रात लगातार भर पेट खाना नहीं खाया। (अल-एहतेजाज, तबरिसी, जिल्द 1, पेज 335, सोननुल कुबरा, जिल्द 2, पेज 150)

कभी कभी तो तीन महीने गुज़र जाते थे आपके घर खाना पकने के लिए चूल्हा तक नहीं जलता था क्योंकि अधिकतर आपका खाना खजूर और पानी हुआ करता था, और कभी कभी आपके पड़ोसी आपके लिए भेड़ का दूध भेज देते थे वही आपका खाना होता था। (तबक़ातुल कुबरा, जिल्द 1, पेज 307, सोननुल कुबरा, जिल्द 7, पेज 47)

कुछ रिवायतों में इस तरह भी नक़्ल हुआ है कि आप लगातार दो दिन जौ की रोटी भी नहीं खाते थे। (मुसनदे अहमद इब्ने हंबल, जिल्द 6, पेज 97, अल-बिदाया वल-निहाया, इब्ने कसीर, जिल्द 6, पेज 58)

अनस इब्ने मालिक से रिवायत नक़्ल हुई है कि, एक बार हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ. आपके लिए रोटी ले कर आईं, आपने पूछा बेटी क्या लाई हो, हज़रत ज़हरा स.अ. ने फ़रमाया, बाबा रोटी बनाई थी दिल नहीं माना आपके लिए भी ले आई, आपने फ़रमाया बेटी तीन दिन बाद आज रोटी खाऊंगा। (तबक़ातुल कुबरा, इब्ने असाकर, जिल्ज 4, पेज 122)

यह रिवायत भी अनस से नक़्ल हुई है कि मेहमान के अलावा कभी भी आपके खाने में रोटी और गोश्त एक साथ नहीं देखा गया। (तबक़ातुल कुबरा, जिल्द 1, पेज 404, सहीहे इब्ने हब्बान, जिल्द 14, पेज 274)

अबू अमामा से नक़्ल है कि, कभी भी पैग़म्बर स.अ. के दस्तरख़ान से रोटी का एक भी टुकड़ा बचा हुआ नहीं देखा गया। (वसाएलुश-शिया, हुर्रे आमुली, जिल्द 5, पेज 54, अल-नवादिर, फ़ज़्लुल्लाह रावंदी, पेज 152)

आपका लिबास

पैग़म्बर स.अ. कपड़े पहनने में भी सादगी का ध्यान रखते थे, आपको कभी पैवंद लगे कपड़े भी पहनते थे। (अमाली, शैख़ सदूक़, पेज 130, मकारिमुल अख़लाक़, पेज 115) और इसी तरह कभी कभी आपको ऊन के मामूली कपड़े पहने भी देखा गया। (तबक़ातुल कुबरा, जिल्द 1, पेज 456, मीज़ानुल ऐतेदाल, जिल्द 3, पेज 128)

अनस इब्ने मालिक से रिवायत है कि रूम के बादशाह ने एक बड़ी क़ीमती रिदा आपको तोहफ़े के रूप में भेजी, पैग़म्बर स.अ. ने उसको पहन कर जब लोगों के बीच आए तो लोगों ने पूछा, ऐ रसूले ख़ुदा (स.अ.) क्या यह रिदा आसमान से आई है? आपने फ़रमाया, तुम लोगों को यह रिदा देख कर आश्चर्य हो रहा है जबकि ख़ुदा की क़सम जन्नत में साद इब्ने मआज़ का रूमाल इस से ज़्यादा क़ीमती है, फिर आपने वह रिदा जाफ़र इब्ने अबू तालिब को देकर रूम के बादशाह को वापस भेजवा दी। (सहीह बुख़ारी, जिल्द 7, पेज 28, तबक़ातुल कुबरा, जिल्द 1, पेज 457)

आप अपने सोने के लिए जिस बिस्तर का प्रयोग करते थे वह खजूर के पेड़ की छाल से बना हुआ था (तारीख़े दमिश्क़, जिल्द 4, पेज 105)

हज़रत आएशा से रिवायत है कि एक दिन किसी अंसार की बीवी किसी काम से पैग़म्बर स.अ. के घर आई, उसने मेरे घर में पैग़म्बर स.अ. का बिस्तर देखा और जब वापस गई तो उसने ऊन से बने बिस्तर को आपके लिए भेजवाया, पैग़म्बर स.अ. जब घर आए तो उन्होंने उस बिस्तर के बारे में पूछा, मैंने बताया अंसार के घराने की एक औरत ने आपके मामूली बिस्तर को देखने के बाद यह ऊनी बिस्तर भेजवाया है, आपने उसी समय कहा कि इसको वापस करवा दो, फिर मुझ से फ़रमाया कि अगर मैं चाहता तो अल्लाह सोने और चांदी के पहाड़ को मेरे क़ब्ज़े में दे देता। (तबक़ातुल कुबरा, जिल्द 1, पेज 465, सीरए हलबी, जिल्द 3, पेज 454)

एक और रिवायत में है कि कभी कभी पैग़म्बर स.अ. रिदा बिछा कर ही सोते थे और अगर कोई चाहे उसकी जगह कुछ और बिछा दे तो आप मना करते थे। (तबक़ातुल कुबरा, जिल्द 1, पेज 467, अल-बिदाया वल-निहाया, जिल्द 6, पेज 56)

अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद से नक़्ल की गई रिवायत में मिलता है कि, एक दिन पैग़म्बर स.अ. खजूर की चटाई पर सो रहे थे, चटाई पर सोने की वजह से आपके बदन पर निशान पड़ गए थे, जब आप उठे तो मैंने पैग़म्बर स.अ. से कहा, या रसूलुल्लाह (स.अ.) अगर आपकी अनुमति हो तो इस चटाई के ऊपर बिस्तर बिछा दिया जाए ताकि आपने बदन पर इस तरह के निशान न बनें, आपने फ़रमाया मुझे इस दुनिया की आराम देने वाली चीज़ों से क्या लेना देना, मेरी और दुनिया की मिसाल एक सवारी की तरह है जो थोड़ी देर आराम करने के लिए एक पेड़ के नीचे रुकती है, और उसके बाद तेज़ी से अपनी मंज़िल की ओर बढ़ जाती है। (तारीख़े दमिश्क़, जिल्द 3, पेज 390, तबक़ातुल कुबरा, जिल्द 1, पेज 363)

 आपका मकान

वाक़ेदी ने अबदुल्लाह इब्ने ज़ैद हज़ली से रिवायत की है कि जिस समय उमर इब्ने अब्दुल अज़ीज़ के हुक्म से पैग़म्बर स.अ. और उनकी बीवियों के घर वीरान किए गए मैंने वह मकान देखे थे, आंगन की दीवारें कच्ची मिट्टी की थीं, और कमरे, लकड़ी, खजूर की छाल और कच्ची मिट्टी से बने हुए थे, आपका कहना था कि मेरी निगाह में सबसे बुरा यह है कि मुसलमानों का पैसा घरों के बनवाने में ख़र्च हो। (तबक़ातुल कुबरा, जिल्द 1, पेज 499, अमताउल असमाअ, जिल्द 10, पेज 94)

वलीद इब्ने अब्दुल मलिक के दौर में उसके हुक्म के बाद पैग़म्बर स.अ. और आपकी बीवियों के कमरों को तोड़ कर मस्जिद में शामिल कर लिया गया, सईद इब्ने मुसय्यब का कहना है कि ख़ुदा की क़सम मैं चाहता था कि पैग़म्बर स.अ. का पूरा घर वैसे ही बाक़ी रहे ताकि मदीने के लोग आपके घर को देख कर समझ सकें कि आप कितना साधारण जीवन बिताते थे, और फिर लोग दौलत और अच्छे मकानों की आरज़ू को छोड़ कर सादगी की ओर आकर्षित होते। (अमाली, पेज 130, मकारिमुल अख़लाक़, पेज 115)

इंसान की बुनियादी जो ज़रूरते हैं वह यही तीन हैं एक उसका खाना, दूसरा उसके कपड़े और तीसरा उसका घर, हम इस लेख में देख सकते हैं इन तीनों में अल्लाह के बाद सबसे महान शख़्सियत का जीवन कितना सादा और साधारण था।

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .