हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत ज़ैनब अ.स. की फ़िक्र, आपके अक़वाल और आपकी सीरत में अनेक प्रकार के नैतिक गुण पाए जाते थे जिसको इमाम हुसैन अ. के रवैये से समझा जा सकता है, इमाम हुसैन अ.स. जब कभी अपनी बहन से मिलते हमेशा आपका एहतेराम और सम्मान करते, इतिहास में मौजूद है कि, हज़रत ज़ैनब स.ल.अ. जब भी अपने भाई से मिलने जातीं, इमाम हुसैन अ.स. आपके सम्मान में अपने स्थान से खड़े हो जाते, और फिर आपको अपने स्थान पर बिठाते थें,
किसी को सम्मान देने के कई रूप होते हैं, जैसे छोटा बड़े का सम्मान करता है या अवलाद वालेदैन का सम्मान करते हैं या कर्मचारी अधिकारी का सम्मान करता है वग़ैरह, यह सम्मान सामान्य स्थिति रखता है।
लेकिन यही सम्मान अगर बड़े की ओर से छोटे का या वालेदैन की ओर से अवलाद का या अधिकारी की ओर से कर्मचारी का हो तो यह सम्मान लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।
लेकिन यही सम्मान अगर एक मासूम इमाम और वह इंसान जिसकी पवित्रता की ज़िम्मेदारी अल्लाह ने ली हो या यूँ कहा जाए कि जिसका सम्मान करना सब लोगों पर वाजिब हो वह अगर किसी का सम्मान करे तो अब उसके द्वारा जिसका सम्मान होगा वह कितना महान और अल्लाह के क़रीब होगा हम सोंच भी नहीं सकते।
हज़रत ज़ैनब अ.स. की फ़िक्र, आपके अक़वाल और आपकी सीरत में अनेक प्रकार के नैतिक गुण पाए जाते थे जिसको इमाम हुसैन अ. के रवैये से समझा जा सकता है, इमाम हुसैन अ. जब कभी अपनी बहन से मिलते हमेशा आपका एहतेराम और सम्मान करते, इतिहास में मौजूद है कि, हज़रत ज़ैनब अ. जब भी अपने भाई से मिलने जातीं, इमाम हुसैन अ.स. आपके सम्मान में अपने स्थान से खड़े हो जाते, और फिर आपको अपने स्थान पर बिठाते। (ख़ातूने दो सरा, सैय्यद अली नक़ी फ़ैज़ुल इस्लाम, पेज 142)
कर्बला के मैदान में इतिहास गवाह है कि हर फ़ैसले से पहले इमाम हुसैन अ.स. ने अपनी बहन ज़ैनब अ. से मशविरा किया है, और आप की राए का हमेशा सम्मान किया है।
महमूद अश्शरक़ावी लिखते हैं कि, इक बार इमाम हसन अ.स. और इमाम हुसैन अ.स. किसी विषय पर पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. की हदीस के बारे में बात कर रहे थे तभी अचानक शहज़ादी ज़ैनब अ.स. वहाँ पर आईं और उसी हदीस को बिल्कुल उसी प्रकार जैसे पैग़म्बर ने फ़रमाया था नक़्ल कर दिया, इमाम हुसैन अ.स. ने फ़रमाया, अल्लाह आपके इल्म और ज्ञान को ज़्यादा करे, आपने बिल्कुल सच फ़रमाया, आप का रिश्ता नबुव्वत के पवित्र घराने से है, और आप ने रिसालत की खान से ज्ञान प्राप्त किया है। (सैय्यदह ज़ैनब, पेज 98)