हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "फोरूए काफी" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
الحَجُّ و الْعُمْرَةُ سُوقانِ مِن اسْواقِ الآخِرَةِ و العامِلٌ بِهِما فی جَوارِ اللَّهِ انْ ادْرَک ما یَأمُلُ غَفَر اللَّهُ لَهُ وَ انْ قَصُرَ بِهِ اجَلُهُ وَقَعَ اجْرُهُ عَلَی الله
हज़रत इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
हज और उमराह आखिरत की बाज़ारों में से दो बाज़ार है जो भी इन दो पर अमल के लिए कदम उठाएगा, वह अल्लाह तआला के जवार और पनाह में है, अगर वह जिसकी आरजू (अल्लाह ताला के घर की जियारत करना)करता हैं,इसे हासिल कर ले तो अल्लाह ताला इसके गुनाहों को बख्श देगा और अगर मौत ने इससे महरूम कर दिया तो भी इसकी जज़ा खुद पर हैं।
फोरूए काफी,भाग 4,पेज 260
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