हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार इस्लामी गणराज ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहीम रईसी ने कहा कि अगर समस्त इस्लामी देश कुरआन पर अमल करते तो अत्याचारियों के दुश्मन और दोस्तों के दोस्त होते और इज़रायली सरकार गज्जा में मज़लूम लोगों की इस तरह से हत्या करने की हिम्मत न करती।
समाचार एजेन्सी इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार कल बुधवार को राष्ट्रपति ने पवित्र कुरआन की 40वीं अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के समापन समारोह में कहा कि कुरआन समस्त इंसानो के लिए मार्गदर्शन की किताब है हालांकि कुछ इंसान मार्गदर्शन को स्वीकार नहीं करते हैं।
इसी प्रकार राष्ट्रपति ने कुरआन को समझने के लिए प्रयास किये जाने और उसकी तिलावत किए जाने पर बल दिया और कहा कि आज कुरआन की तिलावत करने वाले और उसके हाफिज़ों की ज़िम्मेदारी इस्लामी शिक्षाओं का प्रचार- प्रसार, आम लोगों की सोच और समाज का मार्गदर्शन है।
उन्होंने कहा कि आज कुरआन से प्रेम व लगाव और कुरआन का संदेश पहुंचाने वाले यानी पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजन दुनिया की खोई हुई चीज़ें हैं और कुरआन के संबंध में समस्त सक्रिय लोगों को चाहिये कि नेट और सोशल साइटों से अधिक से अधिक लाभ उठायें।
राष्ट्रपति ने कहा कि मानव समाज को कुरआन के प्रकाश की ज़रूरत है और जो लोग कुरआन की तिलावत सुनते हैं वे किसी पृष्ठि भूमि के बिना उस पर ईमान लाते हैं इसका अर्थ यह है कि कुरआन की आयतें इंसान की प्रवृत्ति और उसकी इच्छाओं के अनुसार हैं। इसी प्रकार राष्ट्रपति सय्यद मोहम्मद इब्राहीम रईसी ने कहा कि दुनिया में अन्याय व अत्याचार और भेदभाव से मुकाबले का प्रेरणास्रोत पवित्र कुरआन की शिक्षायें हैं।
उन्होंने कहा कि अगर आज इस्लामी देश कुरआन पर अमल करते तो क्या इज़रायली सरकार इस तरह से फिलिस्तीनियों की हत्या व नरसंहार की हिम्मत करती और अमेरिका के अंदर गज्जा में युद्ध विराम के कई प्रस्तावों को वीटो करने की हिम्मत होती?
राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के समस्त मुसलमानों की तरफ बंधुत्व, समरसता और लेनदेन का हाथ बढ़ाते हैं और हमारा मानना है कि कुरआन समस्त मुसलमानों और दूसरे धर्मों के मानने वालों के मध्य एकता और शांतिपूर्ण जीवन का स्रोत हो सकता है।