हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इसमाईल हनीया ने कहा कि हम ज़ायोनी शासन के साथ बातचीत में नर्मी दिखा रहे हैं लेकिन इस्राईल से लंबी जंग के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शासन क़त्ले आम, लोगों को विस्थापित करने, यातनाएं देने और भुखमरी में झोंकने जैसे भयानक अपराध कर रहा है मगर यह भी हक़ीक़त है कि कई महीने से यह क़ाबिज़ शासन फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ के मुक़ाबले में बेबस होकर रह गया है।
उसका बस केवल बच्चों, महिलाओं और आम नागरिकों पर चलता है। उसे लगता है कि मस्जिदुल अक़सा की घेराबंदी करके और ज़ायोनी सेटलर्ज़ को खुली छूट देकर तूफ़ान अलक़सा आप्रेशन से इस्राईल पर पड़ने वाली मार का असर कम कर सकता है।
हमास के नेता ने ग़ज़ा पट्टी के ज़मीनी हालात को मद्देनज़र रखते हुए दो महत्वपूर्ण बिंदु पेश किए। एक तो उन्होंने यह बात दो टूक शब्दों में कही कि फ़िलिस्तीनी संगठनों के पास ज़ायोनी शासन का मुक़ाबला करते रहने की क्षमता मौजूद है और तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन से यह हक़ीक़त पहले ही उजागर हो गई।
दूसरा पहले यह है कि हमास और फ़िलिस्तीनी संगठनों के पास बड़ी संख्या में इस्राईली क़ैदी मौजूद हैं और वे इस्राईल से बातचीत में मज़बूत पोज़ीशिन में हैं।
हालिया हफ़्तों में अपनी कमज़ोरी खुल जाने के बाद ज़ायोनी शासन इस कोशिश में है कि संघर्ष विराम की बातचीत के नाम पर किसी तरह इस्राईल के भीतर जारी संकट पर पर्दा डाले। ज़ायोनी शासन के अधिकारियों को हालिया दिनों इस्राईली क़ैदियों के परिवारों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा है।
नतीजे में ज़ायोनी प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू और अन्य मंत्रियों के बीच गहरे मतभेद पैदा हो गए हैं। क़ैदियों के परिवारों का कहना है कि प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य सब झूठे हैं।
हमास को इस्राईल की आंतरिक स्थिति की भी पूरी ख़बर है और उसे फ़िलिस्तीनी संगठनों की क्षमताओं की भी पूरी जानकारी है। हमास की शर्त है कि फ़िलिस्तीनी नागरिकों, महिलाओं और बच्चों पर इस्राईल हमला बंद करे और ज़ायोनी सैनिक ग़ज़ा पट्टी से पूरी तरह बाहर निकल जाएं।
हमास के नेताओं ने अन्य फ़िलिस्तीनी संगठनों से संघर्ष विराम के मुख्य बिंदुओं के बारे में बातचीत शुरू कर दी है। हमास इसके साथ ही दूसरे देशों के अधिकारियों से ही बातचीत कर रहा है।
फ़िलिस्तीनी संगठनों ने हालात को देखते हुए साफ़ कर दिया है कि जब तक पूरी तरह स्थायी संघर्ष विराम नहीं हो जाता, ग़ज़ा पट्टी से इस्राईली सेनाएं बाहर नहीं निकल जातीं, ग़ज़ा की नाकाबंदी समाप्त नहीं कर दी जाती तब तक इस्राईली क़ैदियों को हरगिज़ रिहा नहीं किया जाएगा।
अतीत के अनेक उदाहरण हैं जो बताते हैं कि ज़ायोनी शासन न तो किसी प्रतिबद्धता पर अमल करता है और न ही कोई अंतर्राष्ट्रीय कानून मानने को तैयार है। यही वजह है कि हमास दूसरे फ़िलिस्तीनी संगठन ज़ायोनी शासन से अप्रत्यक्ष बातचीत में इस बात की गैरेंटी हासिल करना चाहता हैं कि ज़ायोनी शासन पर दबाव डाला जाएगा किवह अपनी प्रतिबद्धताओं पर अमल करे।