हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवाल : अगर कोई कई साल बीमार रहने के बाद ठीक हो, तो क्या पिछले सारे रमज़ान के रोज़ों की कज़ा वाजिब हैं?
जवाब: अगर इंसान की बीमारी कुछ वर्षों तक रहती है, तू ज़रूरी है कि ठीक होने के बाद आखरी रमज़ान उल मुबारक के छूटे हुए रोज़ो की कज़ा बजा लाए और इससे पिछले वर्षों के रोज़े के बदले एक मुद(750ग्राम) खाना फकीर को दें।