हौजा न्यूज एजेंसी के अनुसार, ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्चन नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने फ़िदया अदा करने के समय से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है। जो लोग शरई अहकाम मे दिल चस्पी रखते है हम उनके लिए पूछे गए सवाल और उसके जवाब का पाठ बयान कर रहे है।
सवाल: जिन लोगों ने बीमारी की वजह से रोज़ा नहीं रखा है और ये मानते हैं कि बीमारी ठीक नहीं होगी और स्थायी है, तो क्या वो अगले साल के रमज़ान से पहले रोज़ा न रखने का कफ़्फ़ारा (फ़िदया) अदा कर सकते हैं?
उत्तर: मुज्ज़ी (ज़िम्मा बरि होने का कारण) नहीं है।