सोमवार 10 जून 2024 - 18:31
जब किसी पर हज वाजिब हो और वह इसे अंजाम देने में सस्ती और ताखिर से काम ले यहां तक की इसकी इस्तेताअत खत्म हो जाए तो क्या हुक्म है?

हौज़ा / उस सूरत में जिस तरह से भी मुमकिन हो,हज को आदा करना वाजिब हैं, चाहे मशक्कत और ज़हमत बर्दाश्त करना पड़े, अगर हज से पहले मर जाए तो वाजिब है कि उसके बाचे माल से हज कि कज़ा करें। और अगर कोई इसकी कज़ा मरने के बाद बगैर( उजरत) फ्री में इसकी तरफ से हज अंजाम दे तो भी सही हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवाल : जब किसी पर हज वाजिब हो और वह इसे अंजाम देने में सस्ती और ताखिर से काम ले यहां तक की इसकी इस्तेताअत खत्म हो जाए तो क्या हुक्म है?

जवाब : उस सूरत में जिस तरह से भी मुमकिन हो,हज को आदा करना वाजिब हैं, चाहे मशक्कत और ज़हमत बर्दाश्त करना पड़े, अगर हज से पहले मर जाए तो वाजिब है कि उसके बाचे माल से हज कि कज़ा करें। और अगर कोई इसकी कज़ा मरने के बाद बगैर( उजरत) फ्री में इसकी तरफ से हज अंजाम दे तो भी सही हैं।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha