हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
लेखकः शौकत भारती
मुसलमानो से अल्लाह ने कुरान में अजरे रिसालत यानी अल्लाह ने जो कुछ अपने रसूल के जरिए मुसलमानो को नेमतें दी जन्नत का रास्ता दिखाया और इस काम केलिए जिंतनी तकलीफों को बर्दाश्त किया उसकी उजरत अल्लाह ने अपने बंदों से रसूल अल्लाह के क़राबत दारों की मोअददत मांगी। इतना ही नहीं अपनी उम्मत को कयामत तक गुमराह से बचाने और जन्नत तक आसानी से पहुंच जाने के लिए कुरान और कुरान के एक्सपर्ट और कुरान पर 100% अमल करने वाले रोल मॉडल जिनसे मोहब्बत का नाम अजरे रिसालत है उनके दामन से वाबस्ता होने और अपने उन कराबत दरों के पीछे पीछे चलने और उनसे मोहब्बत करने का हुक्म दिया था।
उम्मत ने बादे रसूल उनके पीछे पीछे चलना गवारा नहीं किया बल्कि उन्हें अपने पीछे पीछे चलाने की कोशिश की मगर वो जब उसमें कामयाब नहीं हुए तो रसूल अल्लाह के कराबत दारों में जो सब से करीब उनकी बेटी थीं जिसे रसूल अल्लाह ने अपना टुकड़ा कहा था और ये बता दिया था कि मेरी बेटी फातिमा मेरा टुकड़ा है जिसने इसे अजीयत दी उसने मुझे अजीयत दी,मेरी बेटी फातमा को जिसने नाराज़ किया उसने मुझे और अल्लाह को नाराज़ किया। लेकिन इसके बावजूद उम्मत ने बादे रसूल अल्लाह जनाबे फातिमा को इतना नाराज़ किया उन पर इस कदर जुल्म किया की वो जब तक जिंदा रहीं रोती रहीं और रसूल अल्लाह के दुनिया से जाने के सिर्फ 6 माह के बाद दुनिया से चली गईं रसूल के साहबियों ने अजरे रिसालत तो नहीं दिया उल्टा रसूल की बेटी पर जुल्म के पहाड़ तोड़े। दूसरे कराबतदार जिसे रसूल अल्लाह ने अपना नफ़्स कहा ये कहा अली मुझसे है मैं अली से हूं जिसने अली से मोहब्बत की उसने मुझसे मोहब्बत की जिसने अली से जंग की उसने मुझसे जंग की जिसने अली को गाली दी उसने मुझे गाली,अली से मोहब्बत नहीं रखेगा मगर मोमिन अली से दुश्मनी नहीं रखेगा मगर मुनाफिक,अली हक है और हक अली है इस तरह की बेशुमार बातों के बात अली को सारी जिंदगी अजीयत दी गई,उन्हें गालियां दी गई,उन्हें कत्ल करने के लिए उनसे जंग की गई आखिर कार अली की रोज़े की हालत में ऐन नमाज़ के सजदे में ज़हर में बुझी हुई तलवार से मस्जिद के अंदर हमला कर के शहीद कर दिया गया। सहाबीयों ने अली पर जुल्म कर के अपने रसूल को ये अजरे रिसालत दिया। अली के बाद इमाम हसन जिनके बारे में रसूल अल्लाह बता गए थे कि ये मुझसे है मैं इससे हूं ये मेरा बेटा जन्नत में जाने वालों का सरदार है जिसने इसे अजीयत दी उसने मुझे अजीयत दी इस ताकीद के बाद भी रसूल अल्लाह की उम्मत ने अजरे रिसालत में इमाम हसन से हुकूमत छीन ली उनको ज़हर दे दिया उन्हें रसूल अल्लाह के पहलू में दफ्न भी नहीं होने दिया और उनके जनाज़े पर तीर बरसाए जिनसे मोहब्बत करने का हुक्म अल्लाह ने दिया था उन पर ये ज़ुल्म रसूल अल्लाह के असहाब और असहाब की औलादों ने ढाए।
पंजातन की आखरी कड़ी इमाम हुसैन जिन्हें इमाम हसन की तरह ही रसूल अल्लाह जन्नत के सरदार बता कर गए थे और ये कह गए थे कि हुसैन मुझसे है और मैं हुसैन से हूं जिसने हुसैन को अज़ीयत दी उसने मुझे अज़ीयत दी अफ़सोस है कि उसी हुसैन से जब उस वक्त के बदतरीन हाकिम यजीद ने मदीने में बैयत मांगी और बैयत न करने पर इमाम हुसैन का सर मांगा और इमाम हुसैन ने जब यजीद की बैयत से इंकार कर दिया तो मदीने में रहने वाले यजीद की बैयत करने वाले सहाबा और सहाबा की औलादों ने इमाम हुसैन का साथ नहीं दिया इमाम हुसैन इसी लिए मदीना छोड़कर मक्के चले गए और जब मक्के में यजीद ने अपने सिपाही भेज कर इमाम हुसैन को कत्ल करने चाहा तो इमाम हुसैन ने मक्का छोड़ दिया,मक्के वालों ने इमाम हुसैन का साथ नहीं दिया इमाम हुसैन मक्का छोड़ कर कूफे जा रहे थे तो उन्हें यजीद की फौज ने कर्बला में घेर कर भूखा प्यासा शहीद कर दिया लाशों पर घोड़े दौड़ाए सर काट कर नेज़ों पर बुलंद किया गया और औरतों बच्चों को कैदी बना कर गली गली घुमाया गया पुश्त पर दुर्रे लगाए गए बच्चों को तमाचे लगाए गए रस्सियों में और हथकड़ी बेड़ियों में जकड़ा गया और एक साल से ज्यादा कैद में रखा गया और जब कैद से रिहाई मिली तो रसूल अल्लाह के कब्र पर आ कर जनाबे जैनब,इमामे सज्जाद ने रसूल अल्लाह से कहा ए रसूल अल्लाह देखिए आपके साहबियों और उनकी औलादों ने मुझे अजरे रिसालत की शक्ल में ये दिया है आप का खानदान भूखा प्यासा शहीद कर डाला लाशों पर घोड़े दौड़ाए, बच्चों को तमाचे मारे ये देखिए बाजुओं पर रस्सियों के निशान,पुश्त पर दुर्रों के निशान हाथों में हथकड़ियों के निशान पैर मे बेड़ियों के निशान गले में खारदार तौक के निशान या रसूल अल्लाह आप अपने साहबियों और उनकी औलादों को हमसे मोहब्बत और हमारी पैरवी का हुक्म दे कर गए थे अल्लाह ने कुरान में हमसे मोहब्बत करना अजरे रिसालत बताया था मगर इन लोगों ने इसका उल्टा किया हम पर वो जुल्म ढाए जो किसी पर नहीं ढाए गए देखिए आपको आपकी मेहनतों और तकलीफों का आपकी उम्मत ने कैसा सिला दिया है।