हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
लेखकः शौकत भारती
कुरान ने ईमान वालों से कहा है की सच्चों के साथ हो जाओ रसूल अल्लाह जैसे सच्चे ने कयामत तक के सबसे बड़े सच्चों अली,फातिमा,हसन,हुसैन को मैदाने मुबाहला में दिखा कर बता दिया था की इनसे ज्यादा सच्चा कोई नहीं है,
ईसाइयों ने कलमा तो नहीं पढ़ा मगर ये जरूर मान लिया की इनसे ज्यादा सच्चा कोई नहीं है और मुबाहला करने से बाज़ आ गए।
हाय अफसोस अपने आप को मुसलमान और ईमान वाला कहने वाले जनाबे फातिमा,हज़रत अली,इमाम हसन और इमाम हुसैन सच्चों के साथ बादे रसूल खड़े नहीं हुए सिवाए चंद लोगों के,सच्चों के साथ न खड़े होने की वजह से हजरत अली की खिलाफत गई,जनाबे फातिमा का फिदक छिना,पसलियां टूटी और जनाबे फातिमा आखरी सांस तक नौहा पढ़ती रहीं लेकिन नमाजी,हाजी,रोजदार,सहाबी कोई अली जैसे सच्चे के साथ नहीं खड़ा हुआ,इमाम अली 25 साल खामोश रहे चंद लोगों के अलावा कोई अली जैसे सच्चे के साथ नहीं खड़ा रहा।
अली को खिलाफत मिली और अली को खिलाफत मिलते ही,अली जैसे सच्चे के खिलाफ रसूल की बीवी खड़ी हो गईं और अली जैसे सच्चे से जंग जमल कर डाली,मक्कारों और झूठों का सरदार माविया सिफफीन में अपने साथियों के साथ अली जैसे सच्चे के खिलाफ खड़ा हो गया,दिन रात के इबादत गुजार और कुरान गले में लटकाए रहने वाले अली जैसे सच्चे के खिलाफ नहरवान में आ गए और अपनी आखरी सांस तक अली जैसे सच्चे के खिलाफ तलवार चलाते रहे। आखिर कार रात दिन इबादत करने वाले इब्ने मुलजिम ने ही अली जैसे सच्चे को मस्जिदे कूफा में ऐन सजदे की हालत में तलवार से जख्मी कर दिया और 2 दिन बाद अली जैसे मुबाहले वाले सच्चे शहीद हो गए,इमाम हसन जैसे मुबाहले के सच्चे से मक्कार मोआविया ने खिलाफत ले ली और इमाम हसन को जहर दे कर उनके जनाजे पर तीर चलाए गए मगर ईमान वाले सच्चे इमाम के साथ ये सब देखते रहे और इमाम हसन के मुबाहले वाले सच्चे भाई इमाम हुसैन के साथ नहीं खड़े हुए,आखिर कर ईमान वालों ने,नमाजियों ने,हाजियों ने,हाफिजों ने,करियों ने,सहाबियों ने सहाबियों की औलादो ने बुराइयों के मुजस्समे यजीद के साथ खड़ा होना पसंद किया और उसकी बैयत कर ली और इमाम हुसैन के साथ कोई खड़ा नहीं हुआ सिवाए सच्चों के साथ रहने वाले चन्द हकीकी ईमान वालों के जिन्हें जन्नत के सरदार ने जन्नत की बशारत और जाने की इजाज़त भी दे दी लेकिन वो सच्चों का साथ छोड़ कर जाने को तैयार नहीं हुए और करबला के रेगिस्तान में सच्चों के इमाम,इमाम हुसैन के साथ शहीद हो गए।
रसूल अल्लाह के बाद न नमाज़ छोड़ी गई न रोज़ा न हज छोड़ा गया और न कुरान सिर्फ और सिर्फ सच्चों का साथ छोड़ दिया गया जिसकी वजह से सच्चों पर जुल्म के पहाड़ तोड़ दिए गए और कार्बला हो गई..
अरे ओ इमाम हुसैन को मानने वालों इमाम हुसैन के साथियों से सबक लेते हुए जहां जहां कोई सच बोलता दिखाई दे वहां वहां आओ हम सब खड़े हो जाएं। याद रखो सच्चों के साथ न खड़े होने का अंजाम कर्बला है।