۲۵ آبان ۱۴۰۳ |۱۳ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 15, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / यह आयत हमें सिखाती है कि सांसारिक धन और शक्ति को अल्लाह का आशीर्वाद माना जाना चाहिए और इसका उपयोग दूसरों की भलाई के लिए किया जाना चाहिए। शक्ति या धन का मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति कंजूस बन

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी |

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم  बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

أَمْ لَهُمْ نَصِيبٌ مِنَ الْمُلْكِ فَإِذًا لَا يُؤْتُونَ النَّاسَ نَقِيرًا   अम लहुम नसीबुम मिनल मुल्के फ़इजन ला योतून्न्नासा नकीरा (नेसा 53)

अनुवाद: क्या दुनिया में उनका कोई हिस्सा है कि वे लोगों को एक भूसी भी नहीं देना चाहते?

विषय:

यह आयत उन लोगों के बारे में है जो सांसारिक संपत्ति या शक्ति की इच्छा रखते हैं, लेकिन कंजूसी के कारण वे दूसरों को उनका अधिकार नहीं देते और उनसे उनका अधिकार छीन लेते हैं।

पृष्ठभूमि:

यह आयत यहूदियों के एक खास रवैये का वर्णन करती है जो खुद को ईश्वर के चुने हुए लोग मानते थे और सोचते थे कि दुनिया की हर चीज़ पर उनका अधिकार है। इन लोगों का मानना ​​था कि उन्हें परलोक में भी विशेष स्थान मिलेगा। ये लोग धन और सत्ता के लिए लालायित थे और फिर भी दूसरों की भलाई के लिए कुछ नहीं दिया।

तफसीर:

इस आयत में अल्लाह उन लोगों की निंदा करता है जो खुद को शक्तिशाली मानते हैं और दावा करते हैं कि उनके पास शक्ति या अधिकार है, लेकिन अपनी शक्ति के बावजूद, वे दूसरों का हक़ अदा करने से बचते हैं। आयत में "बमुश्किल" शब्द का उपयोग किया गया है जो तारीख के मूल पर बहुत छोटे निशान को संदर्भित करता है, जिसका अर्थ है कि वे लोगों को तारीख के मूल पर बिंदु के बराबर भी नहीं देना चाहते हैं। इसका मतलब है उनकी अत्यधिक कंजूसी.

महत्वपूर्ण बिंदु:

1. दूसरों के अधिकारों का सम्मान: भले ही किसी के पास धन या शक्ति हो, लेकिन दूसरों के अधिकारों का सम्मान करना और उनमें योगदान देना उसका कर्तव्य है।

2. कंजूसी की निंदा: अल्लाह को कंजूसी पसंद नहीं है और वह चाहता है कि धन का एक हिस्सा दूसरों के साथ साझा किया जाए।

3. अल्लाह की संप्रभुता: यह यह भी इंगित करता है कि वास्तविक संप्रभुता अल्लाह की है और किसी को भी दूसरों के अधिकारों को दबाने का अधिकार नहीं है।

परिणाम:

यह आयत हमें सिखाती है कि सांसारिक धन और शक्ति को अल्लाह का आशीर्वाद मानना ​​चाहिए और इसका इस्तेमाल दूसरों की भलाई के लिए करना चाहिए। शक्ति या धन का मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति कंजूस बन जाए और दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन करे।

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तफ़सीर सूर ए नेसा

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