۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
मौलाना गुलज़ार जाफ़री

हौज़ा / रसूलुल्लाह द्वारा छोड़े गए इस्लाम की क्या स्थिति हो गई थी इसका अंदाजा लगाने के लिए यह घटनाए काफी हैं कि बुधवार को जुमे की नमाज अदा की गई और सुबह की नमाज दो के बजाय चार रकअत पढ़ा दी गई। पढ़ाने वाले ने पढ़ा भी दी और पढ़ने वालो ने पढ़ भी ली।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह समझने के लिए कि कर्बला की घटना क्यों हुई, पैगंबर(स.अ.व.व.) के दुनिया से जाने के बाद के 45 साल की स्थिति की समीक्षा करना आवश्यक है। मौलाना गुलज़ार जाफ़री ने अमरोहा के मोहल्ला गिज़री में अलमदार अली खान के अज़ाख़ाने मे आयोजित होने वाली 5 मजलिसो की पहली और दूसरी मजलिस को संबोधित करते हुए पवित्र पैगंबर के दुनिया से जाने के बाद 45 वर्षों के दौरान इस्लाम और मुस्लिम उम्मा की स्थितियों की विस्तार से समीक्षा की।

कर्बला को समझने के लिए पैगंबर (स.अ.व.व.) के दुनिया से जाने के बाद की स्थिति को समझना आवश्यक है: मौलाना गुलज़ार जाफ़री

मौलाना गुलज़ार ने कहा कि बुधवार को जुमे की नमाज़ और सुबह की नमाज़ दो रकअत के बजाय चार रकअत में पढ़ी जाने की घटनाएँ पैगंबर द्वारा छोड़े गए इस्लाम की स्थिति का आकलन करने के लिए पर्याप्त हैं। मौलाना गुलज़ार ने कहा कि इमाम हुसैन अपने नाना द्वारा स्थापित धर्म की इस अवस्था को कैसे देख सकते थे। उन्होंने कर्बला में अपनी और अपने साथियों की कुर्बानी देकर इस्लाम को जीवन दिया।

कर्बला को समझने के लिए पैगंबर (स.अ.व.व.) के दुनिया से जाने के बाद की स्थिति को समझना आवश्यक है: मौलाना गुलज़ार जाफ़री
हसन इमाम और उनके साथी मरसिया पढ़ते हुए


मजलिस में हसन इमाम और उनके साथियों ने मरसिया खानी की। मजलिसो में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। मजलिस मे भाग लेने वाले प्रतिभागी कोरोना दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से ध्यान रख रहे है।

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