हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत को "अल-इख़्तेसास" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الباقر علیه السلام:
إذا جَلَستَ إلى عالِمٍ فَكُن عَلى أن تَسمَعَ أحرَصَ مِنكَ عَلى أن تَقولَ ، و تَعَلَّمْ حُسنَ الاستِماعِ كَما تَتَعَلَّمُ حُسنَ القَولِ، و لا تَقطَعْ عَلى أحَدٍ حَديثَهُ
हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.स.) ने फ़रमाया:
जब आप किसी विद्वान और बुद्धिजीवी की संगति में बैठते हो, तो खुद से बात करने के बजाय (उनकी बात) सुनने की कोशिश करो और जिस प्रकार आप अच्छी बात करना सीखते हो, वैसे ही (दूसरों की) बातचीत को अच्छी तरह से सुनना सीखें। और कभी किसी के शब्दों को मत काटो।
अल-इख़्तेसास: 245