۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
दिन की हदीस

हौज़ा / हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) ने एक रिवायत में हज़रत वलि ए अस्र (अ.त.फ.श.) के ज़माना ए ग़ैबत के दौरान धैर्य के बारे में कुछ बिंदुओं का उल्लेख किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत को "बिहार अल-अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

قال الامام الحسین علیہ السلام:

لَهُ غَیْبَةٌ یَرْتَدُّ فیها اَقْوامٌ وَیَثْبِتُ فیها اخَرُونَ فَیَوُذُّونَ وَ یُقالُ لَهُمْ: «مَتی هذَا الْوَعْدُ اِنْ کُنْتُمْ صادِقینَ». اَما اَنَّ الصّابِرَ فی غَیْبَتِةِ عَلَی الاَْذی وَالتَّکْذیبِ بَمِنْزِلَةِ المجاهِدِ بِالسَّیْفِ بَیْنَ یَدَیْ رَسُولِ اللّه ِ صلی الله علیه و آله

हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) ने फ़रमाया:

हज़रत महदी (अ.त.फ.श.) की ग़ैबत के दौरान एक समूह धर्मत्याग करेगा और एक समूह साबित क़दम रहेगा और (उस पर) अपनी खुशी व्यक्त करेगा। धर्मत्यागी उनसे कहेंगे, "यदि तुम सच्चे हो, तो यह ज़हूर का वचन कब पूरा होगा?" लेकिन जो ग़ैबत के ज़माने मे उनकी यातनाओं, कष्टों और उनके झुठलाने पर धैर्य रखेगा, वह उस मुजाहिद की तरह होगा जिसने अल्लाह के रसूल के पहलू मे तलवार से जिहाद किया है।

बिहार अल-अनवार, भाग 51, पेज 133

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