हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत को "नहज अल-फसाहा" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال رسول الله صلی الله علیه وآله وسلم:
اَلا اُخبِرُكُم بِاَفضَلَ مِن دَرَجَةِ الصّيامِ وَ الصّلوةِ وَ الصَّدَقَةِ؟ صَلاحُ ذاتِ البَينِ، فَاِنَّ فَسادَ ذاتِ البَينِ هِىَ الحالِقَةُ
पैंगबर अकरम (स.अ.व.व.) ने फ़रमाया:
क्या मै तुम्हे नमाज़, रोज़ा (सदक़ा) ज़कात से बेहतर कर्म से अवगत न करूं? वह प्रक्रिया "लोगों के बीच अच्छे संबंध स्थापित करना" है क्योंकि लोगों के बीच अच्छे संबंधों की अनुपस्थिति धर्म को नष्ट कर देती है।
नहज उल-फसाहह, पेज 240, हदीस 458