हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,केंद्र सरकार ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट से नागरिकता संशोधन अधिनियम सीएए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध किया, साथ ही कहा कि यह कानून असम में अवैध प्रवास या भविष्य में देश में किसी भी तरह के विदेशियों के आगमन को प्रोत्साहित नहीं करता है। केंद्र ने कहा कि यह एक स्पष्ट कानून है जो केवल छह निर्दिष्ट समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है जो असम समेत देश में 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले आए थे।
दीपावली और अन्य त्योहारों के अवसर पर नौ दिन की छुट्टी के बाद सोमवार को खुल रहा सुप्रीम कोर्ट पहले ही दिन सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं सहित करीब 240 जनहित याचिकाओं की सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ के समक्ष केवल सीएए के मुद्दे पर 31 अक्टूबर को 232 याचिकाएं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जिनमें ज्यादातर जनहित याचिकाएं हैं।
याचिकाओं को खारिज करने की अपील
इससे पहले, जस्टिस ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तीन-न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाएगा। इस मुद्दे पर मुख्य याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) ने दायर की थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के दायर 150 पेज के हलफनामे में कहा गया कि संसद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 245(1) में प्रदत्त अधिकारों के तहत संपूर्ण भारत या उसके किसी भी हिस्से के लिए कानून बनाने में सक्षम है। गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुमंत सिंह के दायर हलफनामे में सभी याचिकाओं को खारिज करने की अपील की गई है। कई धर्मों के लोगों को मिलेगी नागरिकता