हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
نَحْنُ صُبَّرٌ وَ شيعَتُنا اَصْبَرُ مِنّا، قُلْتُ: جُعِلْتُ فِداكَ، كَيْفَ صارَ شيعَتُكُمْ اَصْبَرُ مِنْكُمْ؟الامام قالَ: لاَِنّا نَصْبِرُ عَلى ما نَعْلَمُ وَ شيعَتُنا يَصْبِرُونَ عَلى مالايَعْلَمُونَ
हज़रत इमाम जफार सादीक अ.स.ने फरमाया:
हम साबिर खानदान है और हमारे शिया हम से भी ज़्यादा साबिर हैं,
मैंने अर्ज किया: मेरी जान आप पर कुर्बान हो जाए कैसे आपके शिया आपसे ज़्यादा साबिर हो सकते हैं?
इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया: क्योंकि हमारा सब्र उस चीज़ पर है कि जिसे हम जानते हैं लेकिन हमारे श्या उस चीज़ पर सब्र करते हैं जिसे वो नहीं जानते हैं।
बिहारूल अनवार,80/71