۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
تربیت

हौज़ा/बच्चे बेनज़्म होते हैं,और घर में हर चीज़ फैलाए रहते हैं, नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं हैं,अक्सर हमारे बच्चे रचनात्मक क्यों नहीं होते क्योंकि हम बच्चों को परेशान करते हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,दीनी ऐतबार से हम अपने बच्चे की तबीयत कैसे करें?यदि कोई मां अपने बच्चे को अच्छी तरह से शिक्षित करती है, तो वह उसे जन्नत ले जा सकती है, और यदि वह उसे अच्छी तरह से शिक्षित नहीं करती है, तो वह उसे जहन्न में भी ले जा सकती हैं। एक मां जो अपने बच्चों को अच्छी तरीके से शिक्षित करती है वह महान मां है अल्लाह ताला उस पर दुरुद ओ सलाम भेजता है हमें चाहिए कि अपने बच्चों को अच्छी तरीके से शिक्षित करें।

हमें अपने बच्चों को जबरदस्ती प्रशिक्षित नहीं करना चाहिए, हमें अपने बच्चों को एक माली की तरह प्रशिक्षित करना चाहिए।

कुछ बच्चे अंतर्मुखी होते हैं जो किसी से बात नहीं करना चाहते, वह अपने आप में ही रहते हैं और बहुत जल्दी दोस्त नहीं बनाते हैं। जबकि कुछ बच्चे बाहरी होते हैं, वह जल्दी से सभी के दोस्त बन जाते हैं।

तो हम सात साल में अपने बच्चों को पहचानें कि मेरा बच्चा कैसा है, उसके आधार पर उसके प्रशिक्षण में रुचि लें, उसकी विशेषता क्या है, उसके आधार पर अपने बच्चे को प्रशिक्षित करें, पहले बच्चे को अच्छी तरह से पहचानें माता पिता की ज़िम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को अच्छी तरह से जानें और तहबीयत करें,

जब तक दूसरा पक्ष स्वीकार नहीं करता, हमारे लिए प्रशिक्षित करना संभव नहीं है, हम अपने बच्चे को डॉक्टर, इंजीनियर बनने के लिए प्रशिक्षित नहीं कर सकते, क्योंकि मेरे बच्चे में जुनून नहीं है, तो वह बच्चा कभी डॉक्टर और इंजीनियर नहीं बन सकता। जब तक वे इस बात को स्वीकार नहीं करें।

दबाव में प्रशिक्षण नहीं किया जा सकता है बल कभी प्रशिक्षण नहीं दे सकता है। अपने बच्चों पर दबाव न डालें, खासकर धार्मिक परिवारों में, बच्चे जब तक अपने माता-पिता के साथ होते हैं, तब तक बहुत अच्छे होते हैं, लेकिन जैसे ही उन्हें मौका मिलता है, वह शरारत करने लग जाते हैं। एक बात का ध्यान रखें कि तालीम जबरदस्ती मुमकिन नहीं हैं उसे आजाद रखें सात साल से लेकर 14 साल तक बच्चा नौकर है उसके बाद वह 14 साल के बाद मंत्री है वह मंत्री हैं, उनसे सलाह लीजिए

बच्चे बेनज़्म होते हैं,और घर में हर चीज़ फैलाए रहते हैं, नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं हैं,अक्सर हमारे बच्चे रचनात्मक क्यों नहीं होते क्योंकि हम बच्चों को परेशान करते हैं।

हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों की तबीयत एक माली की तरह करें एक कुम्हार की तरह नहीं कि जो मिट्टी के बर्तन बनाता है हमें बच्चों की आजादी के लिए उनके उनके ऐतबार से उनके साथ साथ चलना पड़ेगा और जिस उम्र में जिस चीज की जरूरत है उसको पूरा करना पड़ेगा,


तकरीर: आलेमा फाज़ेला सुश्री रोकैय्या  शाहिदी साहिबा
लिखित द्वारा: सैय्यदा नाज़िया अली नक़वी

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