हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने कहां,ज़िन्दगी की हक़ीक़तों से ऊपर, आरज़ूएं, इश्क़ और मोहब्बतें, इंसानी जज़्बात इंसान की ज़िन्दगी में अपना रोल अदा करते हैं, उनका रोल भी, स्वाभाविक है, दूसरे दर्जे का नहीं है, बल्कि वही वास्तविक रोल है और इस मज़बूत इमारत का स्तंभ बन सकता है।
इसको किस तरह व्यवस्थित करें❓
बीवी और शौहर, हर किसी को अपनी जगह और स्थिति को समझना चाहिए। शौहर को बीवी की तरफ़ और बीवी को शौहर की तरफ़ पाकीज़ा इश्क़ से भरी नज़रों से देखना चाहिए और इस इश्क़ को बाक़ी व महफ़ूज़ रखें, क्योंकि यह ख़त्म भी हो सकता है,
दूसरी सभी चीज़ों की तरह यह भी ख़त्म हो जाता है, इसको दिल से लगाए रखें, इसकी हिफ़ाज़त करें कि ख़त्म ने होने पाए।