۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
शौकत भारती

हौज़ा / फिलिस्तीन में हर मिनट पर बम बरस रहें हैं गोलियां बरस रहीं हैं चीख पुकार और दुआओ की आवाज़ गूंज रही है और सऊदी अरब जैसे इस्लामिक मुल्क में जहां से हर तरह की बुराइयां रसूल अल्लाह ने खत्म की थीं वहीं पर म्यूजिक का बड़ा प्रोग्राम होने जा रहा है और शकीरा और शकीरा जैसी बेहूदा डांसर्स नाचने के लिए आ रही हैं। 

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी!

लेखकः शौकत भारती (सदर असर फाउंडेशन)
बैतूल मुकद्दस पर बढ़ता हुआ खतरा,फिलिस्तीन पर गिरते हुए बम, बेगुनाह मरते हुए फिलिस्तीनी मर्द बच्चे औरतें,घर, मकान,स्कूल,कालेज,यूनिवर्सिटी,मस्जिद,अस्पताल,एंबुलेंस रिफ्यूजी कैंपस,बेकरी,मार्केट और मुर्दे को दफ्न करने ले जाने वाली एंबुलेंस पर बमबारी रोज़ाना सैकड़ों की तादाद में मरते हुए मर्द,औरतें और बे गुनाह बच्चे,खाना,पानी,दवा,बिजली, फ्यूल पर पाबंदी उस पर लगातार हवाई हमले कानो को बहरा करने वाली बमों और गोलियों की आवाजे रोज़ आना इसराइल का हद से बढ़ता जा रहा जुल्म और ऐसे जालिम मुल्क की फौज,असलहों,बहरी बेड़ों और मुस्लिम मुमालिको में मौजूद अमरीकन बेसेस से की जाने वाली पूरी पूरी मदद यूएनओ से ले कर सिफरती सतह तक अमरीका और यूरोप की पूरी पूरी मदद और उस पर मुस्लिम के सरबराहो की खामोशी और बेहिसी और अमरीका,इसराइल और ब्रिटेन के साथ गहरे ताल्लुकात फिलिस्तीनियों को भूखा प्यासा रोता पीटता देखने के बाद भी पड़ोसी मुस्लिम मुल्क मिस्र,जॉर्डन, तुर्की का एक बोतल पानी तक न पहुंचाने की कोशिश,इसके बरक्स तुर्की के रास्ते से इसराइल को खाने पीने का सामान और पेट्रोल भेजना जॉर्डन के रास्ते से इसराइल को अमरीकी और यूरोपी असलहे भेजना,सीरिया,इराक,ईरान,लेबनान,यमन  जो फिलीस्तीन के हक में जो बन पा रहा है वो कर रहे हैं उन पर जॉर्डन से अमरीका का बमबारी करना यमन के मिज़ाइल को सऊदी अरब के बेस से इंटरसेप्ट कर के इसराइल को महफूज़ करना ये सब सिर्फ इस लिए हो रहा है मुस्लिम नुमा मुस्लिम मुल्क के ज्यादा तर सरबराह अमरीका,ब्रिटेन और इसराइल के तलवे चाट रहे और ऐश इशरत में डूबे हुए हैं अफसोस तो ये है की अमरीका और यूरोप तक में जगह जगह प्रोटेस्ट हो रहें इसराइल के जुल्म के खिलाफ़ जुलूस निकाले जा रहे हैं हर एक मजहब के लोग हत्ता की किसी भी मजहब को न मानने वाले भी इसराइल के जुल्म पर पूरी ताकत से आवाज उठा रहे है,मगर सऊदी अरब,यूएइ वगैरह में अवाम को इसराइल के जुल्म के खिलाफ जुबान खोलने और प्रोटेस्ट करने की तक इजाज़त नहीं है,इमामे काबा से ले कर अरब मुल्कों में फैले हुए हर एक इमाम जुमा तक को अपने जुमा के खुतबे में इसराइल के खिलाफ़ जुबान खोलने तक की इजाज़त भी नहीं है,बड़ी मुश्किल से मस्जिद के इमामों को फिलस्तीन के मुसलमानो की हिफाज़त की दुआ ही करवाने की हो इजाज़त दी गई है और वो सरकार के दिए गए खुतबे को ही जुमा में बयान करते हैं, इसकी वजह ये है की अरब के ज्यादा तर बादशाहों ने अपने जालिम बादशाहों को अपना अपना ऑलिल अमर मान लिया है और अवाम को भी यही समझा दिया है,अफसोस का मुकाम ये है की एक तरफ फिलिस्तीनियों पर जुल्म के पहाड़ तोड़े जा रहे हैं दूसरी तरफ अपने आप को खादिममैन हरमैन शरीफैन कहने वाले सऊदी जैसे इस्लामिक मुल्क में गैर इस्लामिक म्यूजिक फेस्टिवल मना रहे हैं शकीरा जैसी मशहूर बेहूदा डांसर का अपने मुल्क में प्रोग्राम करवा रहे हैं। इसराइल से ज्यादा हवाई जहाज़ जंगी बेड़े और फौज रखने वाला तुर्की का सदर भी अपने मुल्क में सौ साला जश्न मना रहे हैं हालाकि तुर्की की उर्दगान की खोखली बयान बाज़ी से तंग आ कर लगातार उर्दगान की नौटंकी के खिलाफ़ सड़कों पर उतर चुकी है। अफसोस है की अमरीका और इसराइल नवाज़ मुल्कों से बार बार ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खमनाई अपील कर रहे हैं की मुस्लिम मुल्क इसराइल से हर तरह के सिफारती और कारोबारी तालुकात तोड़ लें और इसराइल के जुल्म के खिलाफ इकठ्ठा हो कर खड़े हो जाएं मगर क्या मजाल है अरब मुमालिक के सरबराह अमरीका की मर्ज़ी के खिलाफ़ उफ भी कर सकें हालांकि जिस बात को खुमैनी साहब ने उठाया है वो सिर्फ़ उनकी बात नहीं है बल्कि दुनिया के हर जिंदा ज़मीर मुसलमान और इंसान की है मगर उसके बाद भी मुर्दा ज़मीर मुस्लिम रूलर्स ने ईरान,इराक, सीरिया,लेबनान और यमन कि तरफ से इसराइल पर होने वाले हर हमले को रोकने के लिए सऊदी,जॉर्डन,यूएई,बहरैन और कुवैत में मौजूद तमाम अमरीकी बेसिस को अमरीकियों को इस्तेमाल करने की खुली छूट दे रखी है और अरब मुमालिक में मौजूद यही अमेरिकन बेसिस फिलिस्तीन के मददगारों के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा बने हुए है वरना अब तक नेतन याहू का दिमाग कब के ठिकाने लग गए होता।ज्यादा तर मुस्लिम मुमालिक के सरबराह यहूद और नसारा के तलवे चाट रहे हैं और उनके पेट्रो डॉलर्स पर पलने वाला दुनिया भर में फैला हुआ अरब मुल्कों के अंध भक्त मौलवियों का टोला इसके बाद भी अरब मुल्कों के तलवे चाट रहा है सोशल मीडिया पर आप को सल्फी मोल्वियो की पूरी टीम इस काम में  मसरूफ है ये वही टोला है जिसने अरब मुमालिक के इशारों पर 10 साल उस ईरान की मुखालिफत में सद्दाम की हिमायत की जिसने 40 साल पहले फिलस्तीन की आजादी का बिगुल बजाया और हर साल रमज़ान के आखरी जुमा को बैतूल मुकद्दस और फिलिस्तीन की आजादी के लिए यौम अल कुदस मानता है,इन्ही लोगों ने 10 साल सीरिया की उस हुकूमत को गिराने की कोशिश की जिसकी सप्लाई लाइन से हिजबुल्लाह ने 2006 में इसराइल की ईंट से ईंट बजा दी और 10 साल तक उन यमानियों के खिलाफ झूठे प्रोपेगंडे किए की वो खाने काबा को गिराना चाहते हैं जब की ये वही यमनी है जो किबलए अव्वल की आज़ादी के लिए बरसों से ईरान के साथ हैं और आज भी मैदान में डटे हुए है। इस वक्त भी पेट्रोडॉलर पे पलने वाले जलील मौलवी ये कह रहे हैं की ईरान ने हमास से हमला करवा कर हमास को फसा दिया और फिलीस्तीनियो को मरवा दिया,अभी देखिए गा जब ईरान या प्रो ईरान मिलेशीया सऊदी जॉर्डन या यूएई के अमरीकन बेस पर हमले करेंगे तो यही जलील मौलवी ये कहेंगे की ईरान ने सऊदी मुस्लिम मुल्क पर हमला कर दिया। हालांकि ईरान और हिस्बुलाह इस बात को बार बार कह रहे हैं की हमास ने जो किया है उनसे पूछ कर या उन्हे बता कर नही किया फिर भी हम उनके पूरी तरह से साथ है और हमास ने जो किया है ठीक किया है अफसोस इस बात का है यहूदीयों और नसरानियों को अपना पुश्त पनाह बनाने वाले अरब मुमालिक अमरीका, ब्रिटेन और इसराइल के इशारों पर नाच रहे हैं और पेट्रो डॉलर्स पर पलने वाले फिलिस्तीनियों के खून से होली खेलने वाले अमरीका और इसराइल के खिलाफ मुसलमानो को मुत्तहिद करने के बजाए वैसा ही मस्लकी इख्तेलफ फैला रहे हैं जैसा 2006 में इसराइल और हिजबुल्लाह की जंग में,यमन और सऊदी की जंग,में सीरिया और इराक ईरान जंग में फैला चुके है। किसी शायर ने बहुत खूब कहा है।
मुत्ताहिद हो बदल डालो जमाने का मिज़ाज..
 मुनतशिर हो तो मरो शोर मचाते क्यों हो..

 सूरये मायदा की इन आयात की रौशनी में देख लीजिए की ऐसे मुस्लिम मुल्कों के सरबराहो और उनके मदद गारो को कुरान ने क्या कहा है। कुरान ने साफ बताया है की ये लोग खौफ डर और लालच की वजह से यहूदियों और नसरानियो के साथ हैं की कहीं कोई दुनियावी परेशानी में न पड़ जाएं कुरान ने बता दिया की ऐसे मुस्लिम रूलर्स और उनके सपोर्टर के दिल टेढ़े हैं और कुरान उन्हे भी यहूदियों और नसरानियो में शुमार करता है। मुसलमानों इन आयात को गौर से पढ़ो और ठीक से समझ लो की हमारा काबा और मदीना कितने कमज़ोर हाथों में हैं। ठीक से समझ लो जो बैतूल मुकद्दस बचाने के लिए नही खड़े हो रहे वो काबा और मदीना कैसे बचाएंगे कुरान ने साफ कर दिया की ये लोग दुनिया परस्त हैं और दुनिया परस्त कभी बैतूल मुकद्दस काबा या मदीने का तहफ्फुज़ नहीं कर सकते और जब बैतुल मुकद्दस बचाने नहीं खड़े हो सकते तो फिलिस्तीन के मजलूम को कैसे बचाएंगे।

फिलिस्तीन में हर मिनट पर बम बरस रहें हैं गोलियां बरस रहीं हैं चीख पुकार और दुआओ की आवाज़ गूंज रही है और सऊदी अरब जैसे इस्लामिक मुल्क में जहां से हर तरह की बुराइयां रसूल अल्लाह ने खत्म की थीं वहीं पर म्यूजिक का बड़ा प्रोग्राम होने जा रहा है और शकीरा और शकीरा जैसी बेहूदा डांसर्स नाचने के लिए आ रही हैं। 
कुरान में मौजूद सूरे मायदा की 50 से 57 नंबर की आयतों को पढ़िए और खुद गौर कीजिए दुनियावी नुकसान के खौफ से यहूदियों और नसरानियो को पुश्त पनाह बनाने वाले मुसलमानों का शुमार कुरान ने यहूदियों और नसरानियों में ही किया है और ये भी बता दिया की उनके दिल टेढ़े हैं और इनकी पहचान ये है की ये बहुत ज्यादा अल्लाह अल्लाह करते है और अल्लाह की कसमें खाते हैं।
अमरीका ब्रिटेन और इसराइल के साथ दुनियावी लालच और खौफ में ताल्लुकात बनाने और उनके इशारों पर नाचने वाले अरब मुल्कों के सरबराहो के मनहूस चेहरे नीचे लिखी कुरान की आयतों की रौशनी में पहचानिए।

﴾ 50 ﴿ तो क्या वे जाहिलिय्यत (अंधकार युग) का निर्णय चाहते हैं? और अल्लाह से अच्छा निर्णय किसका हो सकता है, उनके लिए जो विश्वास रखते हैं?

﴾ 51 ﴿ हे ईमान वालो! तुम यहूदी तथा ईसाईयों को अपना पुश्त पनाह मत बनाओ, वे एक-दूसरे के पुश्त पनाह हैं और जो कोई तुममें से उन्हें पुश्त पनाह बनायेगा, वह भी उन्हीं में शामिल होगा तथा अल्लाह अत्याचारियों को सीधी राह नहीं दिखाता।

﴾ 52 ﴿ फिर (हे नबी!) आप देखेंगे कि जिनके दिलों में (द्विधा का) रोग है, वे उन्हीं में दौड़े जा रहे हैं, वे कहते हैं कि हम डरते हैं कि हम किसी आपदा के कुचक्र में न आ जायेँ, तो दूर नहीं कि अल्लाह उन्हें विजय प्रदान करेगा अथवा उसके पास से कोई बात हो जायेगी, तो वे लोग उस बात पर, जो उन्होंने अपने मन में छुपा रखी है, लज्जित होंगे।

﴾ 53 ﴿ तथा (उस समय) ईमान वाले कहेंगेः क्या यही वे हैं, जो अल्लाह की बड़ी गंभीर शपथें ले लेकर कहा करते थे कि वे तुम्हारे साथ हैं? इनके कर्म अकारथ गये और अंततः वे असफल हो गये।

﴾ 54 ﴿ हे ईमान वालो! तुममें से जो अपने धर्म से फिर जायेगा, तो अल्लाह (उसके स्थान पर) ऐसे लोगों को पैदा कर देगा, जिनसे वह प्रेम करेगा और वे उससे प्रेम करेंगे। वे ईमान वालों के लिए कोमल तथा काफ़िरों के लिए कड़े[1] होंगे, अल्लाह की राह में जिहाद करेंगे, किसी निंदा करने वाले की निंदा से नहीं डरेंगे। ये अल्लाह की दया है, जिसे चाहे प्रदान करता है और अल्लाह (की दया) विशाल है और वह अति ज्ञानी है।

﴾ 55 ﴿ तुम्हारे सहायक केवल अल्लाह और उसके रसूल तथा वो हैं, जो ईमान लाये, नमाज़ की स्थापना करते हैं, ज़कात देते हैं और अल्लाह के आगे झुकने वाले हैं।

﴾ 56 ﴿ तथा जो अल्लाह और उसके रसूल तथा ईमान वालों को सहायक बनायेगा, तो निश्चय अल्लाह का दल ही छाकर रहेगा।

﴾ 57 ﴿ हे ईमान वालो! उन्हें जिन्होंने तुम्हारे धर्म को उपहास तथा खेल बना रखा है, उनमें से, जो तुमसे पहले पुस्तक दिये गये हैं तथा काफ़िरों को सहायक (मित्र) न बनाओ और अल्लाह से डरते रहो, यदि तुम वास्तव में ईमान वाले हो।

नोट: 1- इन आयतों को बार बार पढ़िए और खूब गौर कीजिए की काबा और मदीना कितने कमज़ोर हाथों में है और क्या उन हाथों में नहीं है जिन्होने यहुदियों और नसरानियों को कुरान के मना करने के बावजूद दुनियावी खौफ और लालच में अपना पुश्त पनाह बना रखा है और पूरी दुनिया को मुफ्त कुरान तकसीम करने वाले खुद सबसे बड़े कुरान मुखालिफ हैं और फिर भी पेट्रो डॉलर्स पर बिके हुए मुल्ला मुफ्ती इनके तलवे चाट रहे है।

2- लेखक के अपने निजी विचार है हौज़ा न्यूज़ एजेंसी का लेखक के विचारो से सहमत होना जरूरी नही है।

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