۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
بابائے فلسفہ علامہ ایوب سرسوی

हौज़ा / पेशकश: दानिशनामा इस्लाम, इंटरनेशनल नूरमाइक्रो फिल्म सेंटर दिल्ली काविश: मौलाना सैयद गाफ़िर रिज़वी छोलसी और मौलाना सैयद रज़ी ज़ैदी फ़ंदेड़वी

शुमाले हिंदुस्तान में आबाद बस्ती “सिरसी सादात ज़िला मुरादाबाद”को मरदुम खेज़ सरज़मीन के उनवान से पहचाना जाता है, इसी सरज़मीन पर सन 1326 हिजरी में हकीम सय्यद शब्बर हुसैन नक़वी के दोलतकदे पर एक बच्चा दुनया में आया जिसको  अय्यूब हुसैन के नाम से मोसूम किया गया, ये बच्चा जब नोजवानी के मराहिल तै करता हुआ आसमाने इलमो अमल की सैर करने लगा तो उसके सामने मनतिक़ व फ़लसफ़ा जैसे उलूम दस्ते अदब जोड़ते नज़र आए जिसके नतीजे में अहले इल्म “बाबा ए फ़लसफ़ा” जैसे अज़ीम लक़ब से याद करने लगे।

अल्लामा अय्यूब नक़वी का सिलसिला ए नसब हज़रत अली अशक़र बिन हज़रते जाफ़रे तव्वाब के ज़रिये मिल्लते तशय्यो के दसवें इमाम हज़रत इमाम अली नक़ी अ:­ की ज़ाते वाला सिफ़ात तक पोंहुचता है।

मोसूफ़ ने इब्तेदाई तालीम अपने वतन में हासिल की उसके बाद जामिया नाज़मिया लखनऊ के लिये आज़िमे सफ़र हुए, नाज़मिया में क़याम के दौरान हिंदुस्तान की मशहूर शख़्सियतों की ख़िदमत में ज़ानु ए अदब तै किये और अपनी सलाहियतों का लौहा मनवाकर नाज़मिया की आखिरी सनद “मुमताज़ुल अफ़ाज़िल” हासिल की।

अल्लामा के क़ाबिले ज़िक्र असातेज़ा के असमाए गिरामी कुछ इस तरह हैं: नासेरुल मिल्लत सय्यद नासिर हुसैन मूसवी, नजमुल मिल्लत आयतुल्लाह सय्यद नजमुल हसन रिज़वी, बाक़ेरुल उलूम आयतुल्लाह सय्यद मोहम्मद बाक़िर रिज़वी, अल्लामा सय्यद सिब्ते हसन, ज़हीरुल मिल्लत सय्यद ज़हूर हुसैन, आयतुल्लाह सय्यद अबुल हसन मन्नन नक़वी, मुफ़्ती अहमद अली, मौलवी सिबगतुल्लाह और मौलवी मोहम्मद अय्यूब वगैरा,

बाबाए फ़लसफ़ा अल्लामा अय्यूब हुसैन मैदाने खिताबत के ऐसे शहसवार थे जिन्होंने हिंदुस्तान की तक़सीम से पहले मुल्क के गोशे गोशे में अपनी खिताबत का लोहा मनवाया और बैरूनी ममालिक में से अफ्रीक़ा के आसमाने खिताबत पर मोसूफ़ के नूरे खिताबत की किरनें नज़र आईं , आपकी गुफ़्तगू अदिल्ला व बराहीन के हमराह होती थी और अपनी गुफ़्तगू की आखिरी मंज़िल तक अपने मोय्यनकरदा मोज़ू पर बाक़ी रहते थे।

अल्लामा ने हज्जे बैतुल्लाह नीज़ इराक़ व ईरान की ज़ियारत का शरफ़ हासिल किया, मोसूफ़ की ज़िंदगी का अक्सर हिस्सा दर्स, तदरीस, तबलीग, तालीफ़, तसनीफ़ और वाज़ व ज़ाकिरी में गुज़रा।

जामिया नाज़मिया में उस्ताद के उनवान से मुंतखब हुए, नमाज़ की इमामत फ़रमाते थे और नमाज़े मगरिब के बाद मसाइल का सिलसिला जारी रहता था, मोसूफ़ के शागिर्दों की फ़ेहरिस्त बहुत तूलानी है, अगर उनके असमाए गिरामी बयान किये जाएँ तो काफ़ी तूल हो जाएगा, इख्तेसार के पेशे नज़र ये कहना शायद ग़लत ना हो कि सन 1930ई॰ से सन 1986ई॰ के दरमियान जो शख्सियते जामिया नाज़मिया से फारिग होकर खिदमते दीन के मैदान में नज़र आईं उन सबको अल्लामा की शागिर्दी का शरफ़ हासिल हुआ है।

तालीफ़ व तसनीफ़ के मैदान में मोसूफ़ ने नुमाया काम अंजाम दिये जो बिखरे हुए मोतयों की मानिंद हैं, काश कोई जोहरी आकर उनको इकठ्ठा करे और एक गुलूबंद की शक्ल देकर उरूसे इल्म की आराइश, ज़ेबाइश और आरास्तगी में इज़ाफ़े का सबब क़रार पाए।

अल्लामा की एक काविश फ़लसफ़ा व मनतिक़ से मरबूत है जिसको “अनवारूल उक़ूल” के नाम से मोसूम किया था लेकिन हैफ़ कि वो काविश भी आज तक किसी जोहरी की राह देख रही है।

अल्लाह ने आपको तीन नेमतों से नवाज़ा जिनको ज़माना यूसुफ़ हुसैन, अली अय्यूब सहबा और मसऊदुल हसन साहिल के नामों से पहचानता है मोसूफ़ के तीनों फ़रज़ंद अखलाक व किरदार के ऐतबार से आपकी यादगार हैं।

मुतर्जिमे नहजुल बलागा मुफ़्ती जाफ़र हुसैन, ताजुल औलमा मोहम्मद ज़की, अल्लामा हाफिज़ किफ़ायत हुसैन और इफ़तेखारूल औलमा अल्लामा सआदत हुसैन ख़ान जैसी शख्सियतें मोसूफ़ के हमदर्स थीं।

अल्लामा मोसूफ़ मैदाने शायरी में भी सूरमाओं की सफ़ में नज़र आते हैं ,इस्लामी इंक़लाबे ईरान के मोक़े पर आपने एक कलाम तहरीर किया जिसका एक मिसरा ज़बाँ ज़दे ख़ासो आम हुआ,

“छोटे छोटे बम हैं ये तसबीह के दाने नहीं”

मज़कूरा मिसरे से मोसूफ़ की शायराना सलाहियतों का बाखूबी अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आप किस मेयार की शायरी करते थे, आपका तखल्लुस “हिकमत” था।

आख़िरकार ये इलमो अमल का दरख्शान आफ़ताब सन 1407 हिजरी में गुरूब हो गया, हज़ारों औलमा तुल्लाब, असातेज़ा अफ़ाज़िल और मोमेनीन के हुज़ूर ताजुल औलमा आयतुल्लाह मोहम्मद ज़की की इक़तेदा में नमाज़े जनाज़ा अदा हुई और इमामबारगाह गुफ़रानमआब में सुपुर्दे ख़ाक कर दिया गया।    

माखूज़ अज़: नुजूमुल हिदाया, तहक़ीक़ो तालीफ़: मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसी व मौलाना सैयद रज़ी ज़ैदी फंदेड़वी जिल्द-9पेज-119 दानिशनामा ए इस्लाम इंटरनेशनल नूर माइक्रो फ़िल्म सेंटर, दिल्ली, 2023ईस्वी।

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