हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने फरमाया,घर में औरत के किरदार के बारे में मुसलसल कुछ न कुछ कहा जाता है, इसका तर्क भी स्पष्ट है क्योंकि औरत का घर में मुख्य रोल होता है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि घर में मर्द का कोई फ़रीज़ा, कोई ज़िम्मेदारी और कोई किरदार न हो।
वह मर्द जो बेफ़िक्र हों, जोश व जज़्बे से ख़ाली हों, भोग विलास के आदी हों और घर में औरत की ज़हमतों की क़द्र न करते हों वे घर के माहौल को नुक़सान पहुंचाते हैं मर्द को क़द्रदान होना चाहिए।
कुछ घरेलू औरतें काम काज के लिए बाहर जा सकती थीं, कुछ उच्छ शिक्षा के लिए बाहर जा सकती थीं, कुछ उच्च शिक्षा से संपन्न थीं लेकिन उन्होंने कहा कि हम बच्चे की देखभाल करना चाहते हैं।
उसकी अच्छी परवरविश करना चाहते हैं और इसीलिए हमने मुलाज़ेमत के लिए बाहर जाना नहीं चाहा। इस तरह की औरतों की क़द्रदानी करनी चाहिए।