हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,औरत की गरिमा पर सबसे बड़ा हमला और उसका सबसे ज़्यादा अपमान पश्चिम की इसी सियासत की वजह से हुआ है। यह अतिवादी फ़ेमिनिस्ट ही औरत को नुक़सान पहुंचा रहे हैं औरत का अपमान कर रहे हैं।
यानी रस्म रिवाज को ऐसी दिशा दे दी है कि कोई उससे अलग व्यवहार अपनाना चाहे भी तो नहीं कर सकता आधिकारिक बैठकों में मर्द को औपचारिक लेबास में ही भाग लेना है।
टाई लगाकर आए, कॉलर के बटन बंद हों आस्तीन पूरी हो और उसके बटन बंद हों उसे घुटनों तक की पैंट और टीशर्ट पहनकर आने की इजाज़त नहीं है लेकिन उसी आधिकारिक बैठक में एक औरत के लिए ज़रूरी है कि उसके जिस्म के अहम भाग खुले हों,
अगर वह शरीर का आकर्षकण ढांक कर आए तो यह आपत्तिजनक बात है! यह चीज़ आम हो गयी है, इस चीज़ का चलन हो गया है। क्या औरत पर इससे बड़ी चोट और कुछ हो सकती है?
इमाम ख़ामेनेई