۲۸ شهریور ۱۴۰۳ |۱۴ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 18, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / इस आयत में किताब वालों में से वे लोग जो सच्चे दिल से अल्लाह पर ईमान लाए, अल्लाह के रसूल (स) की पुष्टि की और अल्लाह की किताबों पर ईमान लाए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

وَإِنَّ مِنْ أَهْلِ الْكِتَابِ لَمَنْ يُؤْمِنُ بِاللَّهِ وَمَا أُنزِلَ إِلَيْكُمْ وَمَا أُنزِلَ إِلَيْهِمْ خَاشِعِينَ لِلَّهِ لَا يَشْتَرُونَ بِآيَاتِ اللَّهِ ثَمَنًا قَلِيلًا ۚ أُولَٰئِكَ لَهُمْ أَجْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ إِنَّ اللَّهَ سَرِيعُ الْحِسَابِ.   वइन्ना मिन अहलिल किताबे लमन यूमेनो बिल्लाहे वमा उनज़ेला इलैकुम वमा उनज़ेला इलैहिम ख़ाशेईना लिल्लाहे ला यशतरूना बेआयातिल्लाहे समनन क़लीलन, उलाएका लहुम अजरोहुम इन्दा रब्बेहिम इन्नल्लाहा सरीउल हिसाब (आले-इमरान, 199)

अनुवाद: और बेशक किताब वालों में ऐसे लोग भी हैं जो अल्लाह पर ईमान लाए और जो कुछ तुम पर उतारा गया और जो कुछ उन पर उतारा गया उस पर ईमान लाए, और अल्लाह के सामने नम्र हैं और आयतों के बदले में कुछ कीमत भी नहीं लेते ये वे लोग हैं जिनका प्रतिफल उनके रब के पास है। निस्संदेह, अल्लाह शीघ्र हिसाब लेने वाला है।

विषय:

यह आयत किताब वालों में से उन लोगों का उल्लेख करती है जो वास्तव में अल्लाह पर विश्वास करते थे, अल्लाह के दूत (स) की पुष्टि करते थे, और अल्लाह की किताबों पर विश्वास करते थे।

पृष्ठभूमि:

यह आयत उस पृष्ठभूमि में प्रकट हुई जब पवित्र कुरान ने किताब के लोगों (यहूदियों और ईसाइयों) के विभिन्न दृष्टिकोणों पर टिप्पणी की। कुछ किताब वाले ऐसे भी थे जो सत्य पर विश्वास करते थे और अल्लाह द्वारा अवतरित किताबों की पुष्टि करते थे। इस श्लोक में उनका उल्लेख करके उनकी प्रशंसा की गई है और उनकी आस्था तथा ईमानदारी की पुष्टि की गई है।

तफ़सीर:

इस आयत में अल्लाह तआला उस किताब के लोगों की प्रशंसा कर रहे हैं जो इस्लाम की प्रामाणिकता को पहचानते हैं और पवित्र कुरान के अवतरण के बाद भी इसकी सत्यता को स्वीकार करते हैं। ऐसे आस्तिक अपनी पूजा में विनम्र होते हैं, अल्लाह की ख़ुशी के लिए काम करते हैं, और अल्लाह की आयतों को बेचने के लिए सांसारिक संपत्ति को महत्व नहीं देते हैं। उनके लिए अल्लाह की ओर से बड़ा इनाम है, क्योंकि वे सचमुच सच्चे ईमानवाले हैं।

परिणाम:

आयत हमें सिखाती है कि सच्चा विश्वास वह है जो ईमानदारी, विनम्रता और अल्लाह की प्रसन्नता की तलाश पर आधारित है। अल्लाह के नेक बंदे सांसारिक हितों के लिए अपने ईमान का सौदा नहीं करते हैं, और उन्हें पुनरुत्थान के दिन सबसे अच्छे इनाम की खुशखबरी दी गई है।

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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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