शुक्रवार 25 अप्रैल 2025 - 05:02
जुमे की नमाज़ का महत्व

हौज़ा / पैग़म्बर (स) ने एक रिवायत में जुमे की नमाज़ के महत्व का ज़िक्र किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "मन ला यहज़ुर अल फ़क़ीह" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है।

پیامبر اکرم(صلی الله علیه و آله وسلم):

مَن أتَی الجُمُعَةَ إیمانا و احتِسابا استَأنَفَ العَمَلَ

पैग़म्बर (स) ने फ़रमायाः

जो कोई ईमान के साथ और अल्लाह की हिसाब से जुमे की नमाज़ में शरीक होता है, उसके सारे पुराने गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं और उसके लिए एक नया अमल नामा लिखा जाता है।

मन ला यहज़ुर अल फ़क़ीह, भाग 1, पेज 427, हदीस 1260

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