हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,घराना समाज का बुनियादी सुतून है, समाज की असली बुनियाद है। एक अच्छे, ज़िंदादिल और ऊर्जावान परिवार की मदद के बिना इस्लामी समाज प्रगति कर ही नहीं सकता विशेष रूप से सांस्कृतिक मैदानों में।
इसी तरह ग़ैर-सांस्कृतिक मैदानों में भी अच्छे घरानों के बिना तरक़्क़ी का कोई इमकान नहीं है। इसलिए घराना ज़रूरी है। अब आप ये एतेराज़ न कीजिए कि पश्चिम में परिवार नहीं हैं लेकिन तरक़्क़ी है।
आज पश्चिम में परिवार की नींव की तबाही में जो चीज़ दिन ब दिन स्पष्ट होती जा रही है, उसका असर सामने आएगा ही, जल्दबाज़ी की कोई ज़रूरत नहीं है।
वैश्विक घटनाएँ और ऐतिहासिक घटनाएँ ऐसी नहीं होतीं कि उनके नतीजे और असर तुरंत सामने आ जाएं, वे धीरे-धीरे सामने आते हैं, जैसा कि वे अब तक सामने आ रहे हैं। जिस समय पश्चिम ने ये तरक़्क़ी की थी, उस वक़्त तक वहाँ घराना अपनी सही जगह पर मौजूद था।
इमाम ख़ामेनेई,