۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
समाचार कोड: 384214
24 अक्तूबर 2022 - 19:40
शरई अहकाम

हौज़ा/लोग मातमी अंजुमन को चावल और गोश्त देने की नज़्र मानते हैं, अगर चावल, गोश्त से ज़्यादा हो तो क्या चावल का इज़ाफ़ी हिस्सा बेचकर गोश्त या दूसरी ज़रूरी चीज़ें मुहैया कर सकते हैं?

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवालः लोग मातमी अंजुमन को चावल और गोश्त देने की नज़्र मानते हैं, अगर चावल, गोश्त से ज़्यादा हो तो क्या चावल का इज़ाफ़ी हिस्सा बेचकर गोश्त या दूसरी ज़रूरी चीज़ें मुहैया कर सकते हैं?

जवाबः नज़्र और हदिये की चीज़ों को उसी मक़सद में इस्तेमाल होना चाहिए जिसकी नज़्र मानने वाले ने नीयत की है और अगर नज़्र मानने वाले ने शरई तरीक़े से ज़बान से अपनी नीयत को ज़ाहिर नहीं किया (यानी फ़िक़ह में ज़िक्र खास अंदाज़ में नज़्र का जुमला ज़बान से अदा नहीं किया हैं तो दी गयी चीज़ को उसकी इजाज़त से बदला या दूसरी जगह इस्तेमाल किया जा सकता हैं।

 

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