हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवाल: अगर किसी आदमी को यकीन हो कि उसने एक बार नज़्र मानी है लेकिन इससे याद ना रहे कि वह नज़्र क्या थी तो उसका क्या हुक्म हैं?
उत्तर: अगर नज़्र कुछ चीजों के दरमियान थी तो इसे इन सब को पूरा करना चाहिए, और अगर असीमित (लामहदूद) चीज़ों के बीच हो, तो इसे इस हद तक बजा लाना चाहिए कि इसको यकीन हो जाए की इसके जिम्मे कुछ बाकी नहीं हैं।