हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:عَن الباقِر علیه السلام
اِنَّ بَعْضَ اَصَحْابِهِ سَأَلَهُ فَقالَ: جُعِلتُ فَدِاکَ اِنَّ الشّیعَهَ عِنْدَ ناکثیروُنَ، فَقالَ: هَلْ یَعْطِفُ الغَنِیُّ عَلی الفَقیرَ، وَ یَتَجاوَزُ المُحْسِنُ عَنْ المُسیء وَ یَتَواسُونَ؟ قُلْتُ: لا، قالَ علیه السلام: لَیْسَ هؤُلاءِ الشّیعَةَ، الشَّیعَةُ مَنْ یَفْعَلُ هکذا
हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अ.स. के साथियों में से एक ने उनसे कहा हमारे इलाके में बहुत से शिया हैं, इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया, क्या इनमें से अमीर,गरीबों का ख्याल रखते हैं?
और क्या अच्छा आदमी बुरे आदमी से दूरी अख्तियार करते हैं?और क्या उनकी माली मदद और खुशी का मुज़ाहिरा करते हैं? उसने कहा :नहीं !तो इमाम बाकिर अलैहिस्सलाम ने फरमाया यह लोग हमारे शिया नहीं है,शिया वह हैं जो उपर वाले सिफात रखता हों।
बिहारूल अनवार,भाग 71,पेज़ 313