हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफ़सीर: इत्रे क़ुरआन: सूर ए बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम
إِنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا وَمَاتُوا وَهُمْ كُفَّارٌ أُولَـٰئِكَ عَلَيْهِمْ لَعْنَةُ اللَّـهِ وَالْمَلَائِكَةِ وَالنَّاسِ أَجْمَعِينَ इन्नल लज़ीना कफ़ारू वमातू वहुम क़ुफ्फ़ारो उलाएका अलैहिम लाअनतुल्लाहे वल मलाएकते वन्नासे अजमाईन (बकरा 161)
अनुवादः निस्संदेह जिन लोगों ने कुफ़्र करना चुना, फिर वे कुफ़्र की अवस्था में ही मर गए। यही वे लोग हैं, जिन पर अल्लाह, फ़रिश्ते और सभी लोगो की लानत है।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ जो काफिर कुफ्र की हालत में मरेंगे वो अल्लाह और फ़रिश्तों की लानत से तौबा करेंगे।
2️⃣ धर्म, नियम और आसमानी पुस्तकों का ज्ञान, छिपी हुई सच्चाई, अविश्वास है।
3️⃣ पुनरुत्थान के दिन, जो काफिर अविश्वास की स्थिति में मरेंगे, उन्हें स्वर्गदूतों द्वारा श्राप दिया जाएगा और वे दुआ करेंगे कि उन्हें भगवान की दया से दूर रखा जाए।
4️⃣ फरिश्तों का इंसानों और उनके कामों से गहरा नाता है।
5️⃣ देवदूतों और मनुष्यों की कौन सी प्रार्थनाएं और श्राप पापियों को ईश्वर की दया से दूर रखने में कारगर हैं।
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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा
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