हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
उससे प्यार की उम्मीद मत करो
لا تَطْلُبِ الصَّفا مِمَّنْ كَدِرْتَ عَلَيْهِ، وَلاَ النُّصْحَ مِمَّنْ صَرَفْتَ سُوءَ ظَنِّكَ إلَيْهِ، فَإنَّما قَلْبُ غَيْرِكَ كَقَلْبِكَ لَهُ. ला तत्लोबिस सफ़ा मिम्मन कदिरता अलैहे, वलन नुस्हा मिम्मन सरफ़्ता सूआ ज़न्नका इलैहे, फ़इन्नमा क़ल्बो ग़ैयरेका कक़ल्बेका लहूं
इमाम अली नक़ी (अ) फ़रमाते हैं:
जिस व्यक्ति से आप नफरत करते हैं उससे प्यार की उम्मीद न करें। जिस पर तुम्हें संदेह हो, उससे सद्भावना की आशा मत करो, क्योंकि दूसरों का हृदय भी तुम्हारे हृदय के समान है।
संक्षिप्त विवरण:
ऐसे लोग होते हैं जो दूसरों के प्रति नफरत और अविश्वास रखते हैं, लेकिन फिर भी उम्मीद करते हैं कि दूसरे उन्हें प्यार करें और उनका सम्मान करें।
लेकिन ऐसे लोग इस बात से बेखबर होते हैं कि जिस तरह उनके दिल में दूसरों के लिए नफरत है, उसी तरह दूसरों के दिल भी साफ नहीं हो सकते।
अगर कोई चाहता है कि दूसरे उससे प्यार करें और उसका सम्मान करें तो उसे भी दिल से दूसरों से प्यार और सम्मान करना चाहिए।
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बिहार अल-अनवार: भाग 75, पेज 369, हदीस 4